आज पृथ्वी से टकरा सकती है एक बड़ी आफत, धरती के बेहद करीब पहुंचा बुर्ज खलीफा से भी बड़ा उल्कापिंड

अमेरिकी के अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र नासा के वैज्ञानिकों ने कहा चेतावनी कहा है कि यह उल्कापिंड काफी बड़ा है और पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2021 12:13 PM
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नयी दिल्ली : ब्रह्मांड में आये दिन कई ऐसी खगोलीए घटनाएं होते रहती हैं तो हमें हैरत में डालती हैं. इनमें से कुछ घटनाएं वैज्ञानिकों के लिए चिंता का कारण भी बनती हैं. ऐसी ही एक घटना उल्कापिंड की होती है. अब तक असंख्य उल्कापिंड पृथ्वी के काफी करीब से गुजर चुके हैं. कई छोटे उल्कापिंड तो आये दिन पृथ्वी पर गिरते भी रहते हैं. अंतरिक्ष विज्ञान के जानकार हमेशा इस पर नजर रखते हैं.

वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि आज यानी कि 21 अगस्त 2021 को पृथ्वी के बेहद नजदीक से एक बड़ा सा उल्कापिंड गुजरेगा. इस उल्कापिंड के आकार के बारे में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह बुर्ज खलीफा से भी बड़ा होगा. हालांकि इसके पृथ्वी से टकराने की उम्मीद नहीं जतायी गयी है, लेकिन किसी भी संभावना से वैज्ञानिकों ने इनकार नहीं किया है.

अगर यह उल्कापिंड पृथ्वी से टकराता है तो भारी तबाही मच जायेगी. अमेरिकी के अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र नासा के वैज्ञानिकों ने कहा चेतावनी कहा है कि यह उल्कापिंड काफी बड़ा है और पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा. अगर गलती से इसने पृथ्वी को छू भी लिया तो बड़ी तबाही मच सकती है. नासा के मुताबिक, यह उल्कापिंड एक हजार से भी ज्यादा पत्थरों का एक समूह है.

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नासा ने इसका नाम 2016 AJ193 रखा है. यह उल्कापिंड पृथ्वी की ही ओर करीब 58,538 mph की स्पीड से बढ़ रहा है. जनवरी 2016 में ही इस उल्कापिंड ने पृथ्वी की ओर से रूख किया था. तभी से वैज्ञानिकों की इसपर नजर थी. नासा ने कहा है कि अगर यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में आया तभी इसके पृथ्वी से टकराने की उम्मीद है, नहीं तो यह पास से गुजर जायेगा.

वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के निर्माण के सिद्धांत को भी एक बड़ी खगोलीय घटना बताया है. ब्रह्मांड में टूटने और बिखरने और ब्लास्ट की कई ऐसी घटनाएं होते रहती हैं, जिससे सौरमंडल तक का निर्माण होता है. हमारे सौर मंडल के निर्माण का भी किसी बड़ी खगोलीय घटना के कारण हुआ है. पृथ्वी पर कई जानवरों का अस्तीत्व खत्म होना उल्कापिंडों के टकराने से ही हुआ है. डायनोसोर के खात्में का कारण भी इसे ही माना जाता है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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