नयी दिल्ली : कोरोना वायरस रोधी टीके के निर्माण में लगी स्वदेशी कोवैक्सिन के इंसानों पर क्लीनिकल ट्रॉयल के तीसरे चरण की शुरुआत बृहस्पतिवार को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुई.संस्थान के तंत्रिका विज्ञान केंद्र की प्रमुख एम वी पद्मा श्रीवास्तव और तीन अन्य स्वयंसेवकों ने टीके की पहली खुराक ली.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर भारत बायोटेक ‘कोवैक्सिन’ को विकसित कर रहा है.सूत्रों ने कहा कि डॉ. श्रीवास्तव को पहला टीका लगाया गया और अगले कुछ दिनों में एम्स में 15 हजार से ज्यादा स्वयंसेवकों को टीका लगाया जाएगा.एक सूत्र ने कहा कि चार स्वयंसेवकों को मांसपेशियों में आधा मिलीलीटर की पहली खुराक सुई के माध्यम से दी गई.
संपर्क किये जाने पर डॉ. श्रीवास्तव ने कहा, “कोवैक्सिन देश में निर्मित पहला कोरोना वायरस रोधी टीका है और उससे भी ऊपर मेरा संस्थान परीक्षण में हिस्सा ले रहा है.टीका लगवाने वाले पहले स्वयंसेवक के तौर पर मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूं.मैं इस महान उद्देश्य का हिस्सा बनकर खुश हूं.मैं पूरी तरह ठीक हूं और काम कर रही हूं.” सूत्रों ने कहा कि परीक्षण के तहत 0.5 मिलीलीटर की पहली खुराक देने के 28 दिन बाद 0.5 मिलीलीटर की दूसरी खुराक दी जाएगी.
तीसरे चरण के तहत 18 वर्ष और उस से ज्यादा की आयु के 28,500 लोगों को विभिन्न केंद्रों पर परीक्षण टीका लगाया जाएगा.10 राज्यों में करीब 25 केंद्रों पर यह परीक्षण किया जाएगा.कुछ जगहों पर परीक्षण शुरू भी हो गया है.भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक को कोवैक्सिन के तीसरे चरण के मानवीय नैदानिक परीक्षण करने की मंजूरी दे दी है.पहले और दूसरे चरण के परीक्षण के सुरक्षा और प्रतिरक्षाजनकता आंकड़े केंद्रीय औषध नियामक को उपलब्ध करा दिये गए हैं.
हैदराबाद स्थित कंपनी ने तीसरे चरण के परीक्षण के लिये आवेदन करते हुए कहा था कि टीके को लेकर किसी भी स्वयंसेवक पर कोई गंभीर दुष्प्रभाव की खबर नहीं है.सूत्र ने कहा कि एक आम शिकायत सूई लगने वाली जगह पर दर्द की थी जो धीरे-धीरे खत्म हो गया .कोवैक्सिन के अलावा भारत में चार अन्य टीकों का अलग-अलग चरणों में परीक्षण चल रहा है.सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनका के कोविड-19 टीके के तीसरे चरण का परीक्षण कर रहा है जबकि जाइडस-कैडिला के देश में निर्मित टीके के दूसरे चरण का परीक्षण पूरा हो चुका है.
Posted By : Rajneesh Anand