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Karnataka Election 2023: कर्नाटक में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार, क्या सत्ता बचाने में कामयाब रहेगी बीजेपी

भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है सत्ता बचाने की, जबकि कांग्रेस सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी है. दूसरी ओर जनता दल (एस) राज्य में तीसरे दल के रूप में दावा मजबूत कर रही है. कांग्रेस ने डीके शिवकुमार-सिद्धरमैया की जोड़ी पर दांव लगाया है.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 का बिगुल बज चुका है. राज्य की 224 विधानसभा सीटों पर 10 मई को मतदान होगा, जबकि 13 मई को चुनावी नतीजे आयेंगे. कर्नाटक का इतिहास रहा है कि कोई भी सत्ताधारी दल सरकार बचाने में कामयाब नहीं रही है. यह सिलसिला 1985 से चला आ रहा है. वैसे में यह देखने वाली बात है कि सत्ता पर काबिज बीजेपी पार्टी अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहती या नहीं.

बसवराज बोम्मई के सहारे सत्ता बचाने में कामयाब रहेगी बीजेपी?

भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है सत्ता बचाने की, जबकि कांग्रेस सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी है. दूसरी ओर जनता दल (एस) राज्य में तीसरे दल के रूप में दावा मजबूत कर रही है. कांग्रेस ने डीके शिवकुमार-सिद्धरमैया की जोड़ी पर दांव लगाया है.

2018 में कांग्रेस सत्ता नहीं बचा पायी, लेकिन वोट शेयर शानदार

2018 विधानसभा चुनाव की बात करें, तो सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस अपनी सत्ता नहीं बचा पायी थी. हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस का वोट शेयर शानदार रहा था. 36.59 प्रतिशत से बढ़कर कांग्रेस का वोट शेयर 2018 में 38.14 हो गया. यह पिछले चार दशक का रिकॉर्ड ही रहा है, जब कोई सत्ताधारी दल का वोट शेयर बढ़ा हो.

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कर्नाटक में सत्ता बदलने का रहा है ट्रेंड

कर्नाटक में पिछली चुनावों को देखें तो यहां हमेशा से सत्ता में बदलाव होता आया है. पिछले 38 सालों के रिकॉर्ड को देखा जाए तो यहां सत्ताधारी दल दोबारा सत्ता में वापसी नहीं कर सकी है. यहां हर पांच साल में सरकारें बदलती रही हैं. यहां की जनता हर पांच साल में सरकार को बदल देती है. अब बीजेपी के लिए 2023 में सत्ता बचाने की बड़ी चुनौती है. क्योंकि कर्नाटक चुनाव को 2024 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल है.

2018 चुनाव में किसे कितनी सीटें हासिल हुईं

2018 चुनाव में बीजेपी 104 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, तो कांग्रेस को केवल 80 सीटें ही हासिल हुईं थी. जबकि जनता दल (एस) को 37 सीटें मिली थीं. शुरुआत में जेडीएस-कांग्रेस ने साथ मिलकर सरकार बनायी थी, लेकिन दोनों दलों के विधायकों की बगावत के बाद सरकार गिर गयी थी. उसके बाद बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला.

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