देश में लव जिहाद पर कानून बनने की चर्चा चल रही है. कई राज्यों ने ऐलान कर दिया है कि इस पर कड़ा कानून बनेगा. देश में जाति-धर्म की चर्चा जोरों पर है ऐसे में छत्तीसगढ़ के ट्राइबल इलाके में एक ऐसी परंपरा है जो युवाओ को जाति – धर्म की दिवार तोड़कर अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार देती है.
छत्तीसगढ़ के कवर्धा वनांचल में बैगा समाज आज भी जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार बच्चों को देता है. यहां युवक और युवती को समान अधिकार है कि वह अपना जीवन साथी चुन सकती हैं. इस परंपरा के तहत यहां एक विशाल मेले का आयोजन होता है. इस मेले में कई तरह के पारंपरिक रिवाज होते हैं. जश्न होता है. नाच गाना होता है. यहां युवक और युवती एक दूसरे को देखते हैं परखते हैं.
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मेले में सिर्फ एक गांव से नहीं आस पास के कई गांवों के लोग इस आयोजन में शामिल होते हैं. इस मेले में आसपास के गांवों के शादी योग्य युवक – युवती शामिल होते हैं. यहां वो एक दूसरे को देखते हैं पसंद करते हैं औऱ अपना जीवन साथी चुन लेते हैं.
शादी करने की चाह रखने वाले युवक युवती इस मेले का इंतजार करते हैं. इसके लिए लंबी तैयारी करते हैं. मेले के आय़ोजन का समय और तारीख पहले ही तय कर दिया जाता है. इसकी जानकारी भी आसपास के गांवों को दे दी जाती है.इस इलाके में रहने वाले महेश बताते हैं कि जिस गांव में यह मेला लगता है.
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उस गांव की जिम्मेदारी होती है कि इसे सफलता से आयोजित किया जाये. यहां एक दूसरे को पसंद करने के बाद साधारण तरीके से लेकिन पूरे जोश, जश्न के साथ दोनों की शादी कर दी जाती है. यहां पैसे ज्यादा खर्च नहीं होते गांव के लोग चंदा जमा कर इस आयोजन को करते हैं और कम से कम पैसे में जोड़ों की शादी हो जाती है.