त्र्यंबकेश्वर मंदिर की घटना पर धर्माचार्यों ने जताई चिंता, बोले-एकजुट होने का समय
कुछ दिनों पहले नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कुछ लोगों ने गलत इरादे के साथ घुसने की कोशिश की थी, जिसे ध्यान में रखते हुए मंदिरों की रक्षा के लिए संवाद का आयोजन किया गया था.
मंदिरों और उनमें स्थापित मूर्तियों पर हमले की घटना पर महाराष्ट्र के नासिक जिले के श्री कालाराम मंदिर के आचार्य महामंडलेश्वर महंत सुधीरदासजी ने चिंता जताई है. हिंदू जनजागृति समिति के विशेष संवाद में उन्होंने देश में बीते दिनों हुई घटनाओं पर कहा कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है. ये हमारे अस्तित्व से जुड़ा सवाल है. बता दें कि बीते हफ्ते नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में दूसरे धर्म के लोगों ने जबरन घुसने की कोशिश की थी. इसके बाद धर्मगुरुओं ने मंदिरों की रक्षा के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया.
मंदिर में चादर चढ़ाने की परंपरा कभी नहीं रहीइस अवसर पर श्री त्र्यंबकेश्वर पुरोहित संघ के अध्यक्ष मनोज थेटे ने कहा कि त्र्यंबकेश्वर में मुसलमानों के संदल की परंपरा वर्षों से है, लेकिन मंदिर के अंदर घुसकर धूप दिखाने और चादर चढ़ाने की प्रथा कभी भी नहीं थी. गौरतलब है कि 13 मई को कुछ लोगों ने इस शिव मंदिर में घुसने की कोशिश की थी और जबरदस्ती शिवलिंग पर चादर चढ़ाने का प्रयास किया था. हालांकि बाद में उन युवकों ने माफी मांग ली थी.
इस संवाद कार्यक्रम में ‘हिंदू जनजागृति समिति’के समन्वयक आनंद जाखोटिया ने कहा कि त्र्यंबकेश्वर की घटना के बाद कुछ प्रसार माध्यम एक ‘नैरेटिव’ सेट कर रहे हैं कि हमने इस प्रथा-परंपरा का स्वागत किया है, जबकि कुछ कट्टर लोग इसका विरोध कर रहे हैं. हालांकि सच्चाई इससे अलग है. उन्होंने कहा कि भगवान शंकर में अगर किसी को आस्था है तो वे उसका प्रदर्शन नियमों के अनुसार ही करें, किसी की धार्मिक भावना को आघात पहुंचाने का हक किसी को भी नहीं है.
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