त्रिपुरा में चुनाव को लेकर सख्त सुप्रीम कोर्ट, कहा- मतगणना तक तैनात रहे फोर्स, मीडिया कवरेज की अनुमति मिले
त्रिपुरा में चुनाव पर टीएमसी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पोलिंग बूथों पर बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों को तैनात करने के साथ ही मतगणना तक अर्धसैनिक बलों की तैनाती के आदेश दिए हैं. इसके अलावा आगे भी पोलिंग बूथ पर गड़बड़ी पर सुप्रीम कोर्ट की मदद लेने की बात कही है.
त्रिपुरा में चुनाव को लेकर टीएमसी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग, मुख्य सचिव और डीजीपी को पोलिंग बूथों पर बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों को रखने की बात कही है. इसके अलावा मतगणना तक अर्धसैनिक बलों की तैनाती के आदेश दिए हैं. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा आगे भी पोलिंग बूथ पर गड़बड़ी पर शीर्ष अदालत की सहायता ली जा सकती है. दरअसल त्रिपुरा में चल रहे निकाय चुनावों में टीएमसी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हिंसा करने का आरोप लगाया है. इसे लेकर आर पार की लड़ाई में टीएमसी ने सुप्रीम कोर्ट का सहारा लिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदान के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को पूरी कवरेज की अनुमति मिलनी चाहिए क्योंकि पोलिंग बूथों पर सीसीटीवी कैमरा नहीं है ऐसे किसी भी तरह की गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा शीर्ष अदालत ने 28 नवंबर को मतगणना होने तक पुलिंग बूथों के साथ साथ बैलेट बॉक्स की निगरानी के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती के भी आदेश दिए हैं. वोटिंग से लेकर मतगणना तक अर्धसैनिक बलों को बड़ी संख्या में तैनात किए जाने के आदेश दिए गए हैं.
वहीं, त्रिपुरा के निर्वाचन आयोग के सचिव पल्लब भट्टाचार्य ने कहा कि अब तक राज्य के किसी भी हिस्से या पोलिंग बूथ से हिंसा की खबर नहीं मिली है. उन्होंने टीएमसी के आरोप को गलत बताते हुए कहा कि टीएमसी ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि पहले से ही बढी संख्या में अर्धसैनिक के बल तैनात हैं अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद त्रिपुरा स्टेट राइफल्स के 500 जवानों के साथ साथ बीएसएफ की दो कंपनियों को भी तैनात किया गया है.
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बता दें कि टीएमसी ने भाजपा कार्यकर्ताओं कई आरोप लगाए थे. त्रिपुरा में स्थिति गंभीर बताया है. पार्टी सदस्य सायोनी घोष के नारे लगाने के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और उनकी हत्या का भी प्रयास किए जाने का भी आरोप लगाया गया था. हालांकि त्रिपुरा सरकार की ओर से पेश वकील महेश जेठमलानी ने याचिकाओं को राजनीति से प्रभावित बताया था.