2004 में आई सुनामी आज भी है याद, बुलेट ट्रेन की गति से दोगुनी थी लहरों की स्पीड, बचने का नहीं मिला मौका
Tsunami 2004 : सुनामी की वजह से साल 2004 में भारत सहित एक दर्जन से ज्यादा देशों में तबाही मची थी. लहरें अपनी हाईएस्ट स्पीड पर पहुंचीं, तो उनकी गति 800 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा थी. यह गति बुलेट ट्रेन की गति से दोगुनी से भी अधिक थी.
Tsunami 2004 : हिंद महासागर में आई सुनामी को 20 साल हो चुके हैं. इसमें लाखों लोगों की जान गई थी. साल 2004 में 15 देशों में बड़े पैमाने पर तबाही मची थी. यह 21वीं सदी की सबसे घातक प्राकृतिक आपदा थी, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई. सुनामी के कारण ज्यादा विनाश होने का एक कारण यह था, पहले से अलर्ट का नहीं मिलना. इस दिन इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के तट पर 9.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया. इसकी वजह से सुनामी आई. इसमें दर्जनों देशों के लाखों लोग मारे गए. यह पूर्वी अफ्रीका तक पहुंच गई.
2004 में हिंद महासागर में आए भूकंप और सुनामी के बारे में जानें खास बातें
साल 2004 में सुनामी, भूकंप के कारण सबसे लंबी फॉल्टलाइन टूटने से आई थी. सुनामी 26 दिसंबर, 2004 को क्रिसमस के बाद रविवार को सुबह 7.59 बजे आई थी. इंडिया प्लेट और बर्मा माइक्रोप्लेट के बीच का अंतर कम से कम 1,200 किलोमीटर (750 मील) लंबा था. इससे 30 मीटर (100 फीट) से अधिक ऊंची विशाल लहरें उठी. इससे 23,000 हिरोशिमा परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा उत्पन्न हुई और भारी तबाही मची.
पहले भूकंप की तीव्रता 8.8 दर्ज की गई थी. इसके बाद अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने आधिकारिक तौर पर इसकी तीव्रता 9.1 होने की पुष्टि की. इसका केंद्र जमीन से 30 किलोमीटर (18.6 मील) अंदर था. भूकंप का केंद्र सुमात्रा के तट से लगभग 241 किलोमीटर (150 मील) दूर था.
सुनामी से 226,408 लोगों की हुई मौत
EM-DAT के अनुसार, सुनामी ने कुल 226,408 लोगों की जान गई थी. हिंद महासागर में उठने के कुछ घंटों बाद विशाल लहरों ने थाईलैंड, भारत और श्रीलंका को अपनी चपेट में ले लिया. जब लहरें अपनी हाईएस्ट स्पीड पर पहुंचीं, तो उनकी गति 800 किलोमीटर प्रति घंटे (500 मील प्रति घंटे) से अधिक थी. यह बुलेट ट्रेन की गति से दोगुनी से भी ज्यादा थी.
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ईएम-डीएटी के अनुसार, श्रीलंका में लगभग 35,000 लोग, भारत में 16,389 और थाईलैंड में 8,345 लोग मारे गए. इंडोनेशिया का आचे प्रांत भूकंप के केंद्र के सबसे करीब स्थित था. कुल हुई मौत का आधा यहीं से था. आचे आपदा प्रबंधन एजेंसी के अनुसार, सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र आचे बेसर और बांदा आचे थे. सोमालिया में लगभग 300 लोग मारे गए, मालदीव में 100 से ज्यादा, साथ ही मलेशिया और म्यांमार में दर्जनों लोग मारे गए.