twitter vs govt : केंद्र सरकार ने किस वजह से की कार्रवाई ? टि्वटर पर क्यों दर्ज हुआ केस ? क्या है पूरा विवाद यहां पढ़ें,पूरी कहानी
मामला बुजुर्ग के साथ मारपीट का है. इस एक वीडियो टि्वटर पर वायरल हुआ. वायरल वीडियो पर कई राजनेताओं ने योगी सरकार से सवाल करना शुरू कर दिया. गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों पर धार्मिक भावनाएं बड़काने का आरोप लगाया. इस एफआईआर में टि्वटर को भी शामिल किया गया. गलत जानकारी के बावजूद भी इस वीडियो को नहीं हटाने की वजह से यह कार्रवाई की गयी है . आईटी एक्ट की धारा 79 वापस लाने के बाद अब टि्वटर पर कार्रवाई की जा सकेगी.
सरकार और टि्वटर के बीच का बढ़ा विवाद अब केस तक पहुंच गया है. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में टि्वटर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. यह पहला मामला है. आईटी कानून का पालन ना करने की वजह से सोशल नेटवर्किंग साइट ने देश में कानूनी सुरक्षा का आधार गंवा दिया है. इसका स्पष्ट मतलब है कि टि्वटर अब भारतीय आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत मिली कानूनी कार्रवाई से छूट को खत्म कर लिया है.
क्यों दर्ज कराया गया केस
Content published on social media regarding this is irresponsible & unverified. Incident took place over an amulet. We've registered FIR against those who published this on social media to give it a different angle, 7 people & Twitter & Twitter India named in FIR: Ghaziabad SSP
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 16, 2021
मामला बुजुर्ग के साथ मारपीट का है. इस एक वीडियो टि्वटर पर वायरल हुआ. वायरल वीडियो पर कई राजनेताओं ने योगी सरकार से सवाल करना शुरू कर दिया. गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों पर धार्मिक भावनाएं बड़काने का आरोप लगाया. इस एफआईआर में टि्वटर को भी शामिल किया गया. गलत जानकारी के बावजूद भी इस वीडियो को नहीं हटाने की वजह से यह कार्रवाई की गयी है . आईटी एक्ट की धारा 79 वापस लाने के बाद अब टि्वटर पर कार्रवाई की जा सकेगी.
सरकार ने क्यों लिया कड़ा फैसला
Also Read: Unlock In India 2021 : खुल गये ताजमहल और लालकिला जैसे स्मारक- टिकट और प्रवेश को लेकर हुआ है बड़ा बदलाव
सरकार ने नये आईटी कानून के तहत टि्वटर को 25 मई तक सभी जरूरी नियम लागू करने का आदेश दिया था. सरकार ने इसके बाद 26 मई को पहला नोटिस भेजा. इसके बाद 28 मई को दूसरा, 2 जून को तीसरा और 5 जून का ‘आखिरी नोटिस’ भेजा.
टि्वटर ने क्यों किया आईटी कानून का विरोध
केंद्र सरकार देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए नये आईटी कानून लेकर आयी. इस कानून के तहत सभी सोशल नेटवर्किंग साइट को कई आदेश दिये गये जिसका पालन करना जरूरी था. टि्वटर ने आईटी कानून का विरोध करते हुए कहा, इसमें कुछ ऐसे तत्व हैं जो फ्री स्पीच को बाधित कर रहे हैं. इसकी वजह से लोग खुलकर अपनी बात नहीं रख सकेंगे. सरकार ने कहा यह कानूनी आदेश है इसे मानना होगा .
कब और कैसे शुरू हुआ विवाद
सरकार और टि्वटर के बीच में यह विवाद जनवरी के आखिरी दिनों में शुरू हुआ. कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान कथित तौर पर फेक न्यूज के माध्यम से हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे थे. सरकार ने 31 जनवरी को ट्विटर से कुछ अकाउंट्स के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा. इनमें से ऐसे लोगों के अकाउंट भी शामिल किये गये जिन्होंने #मोदीप्लानिंगफार्मरजेनोसाइड हैशटैग का इस्तेमाल किया था.
सरकार के आदेश का नहीं किया पालन
सरकार के आदेश पर ट्विटर ने 257 अकाउंट्स को सस्पेंड कर दिया लेकिन कुछ ही देर बाद फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर उन्हें एक्टिव कर दिया. इसके बाद सरकार ने 4 फरवरी को एक और लिस्ट सौंपी इसमें 1157 टि्वटर अकाउंट थे इनमें से कुछ लोग खालिस्तान का समर्थन करते थे कुछ पाकिस्तानी अकाउंट थे. टि्वटर ने कुछ को ब्लॉक किया और कुछ को छोड़ दिया. सरकार ने 25 फरवरी को नये आईटी कानून का ऐलान कर दिया 50 लाख से ज्यादा यूजर वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इसके दायरे में रखा. कई सख्त नियम बनाये जिसमें भारत में एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति. सरकार जानकारी मांगे तो जानकारी देनी होगी. अगर कोई कंटेंट हटाने का आदेश दिया गया है तो उसे 36 घंटे के अंदर हटाना होगा.
इन विवादों ने किया आग में घी का काम
Also Read: CBSE Board Exam 2021: क्या 10 वीं और 11 वीं का नंबर 12 वीं के परिणाम में जोड़ा जाना चाहिए ? पढ़ें पोल में लोगों ने क्या दिया जवाब
टि्वटर ने नये नियमों का मानने से इनकार कर दिया तल्खी बढ़ी इस बीच कई चीजें हुई पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट का मामला आया जिसने इस विवाद को हवा दी. ट्विटर ने लद्दाख के कुछ हिस्सों को ‘गलती से’ चीन के नक्शे में दिखा दिया. इसे ठीक करने में उसने कई दिन लगा दिये. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित कई लोगों के अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिये जिसके बाद और विवाद बढ़ा. दूसरी तऱफ टि्वटर ने केस भी किया लेकिन कोर्ट सरकार के साथ खड़ी रही