दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में कोरोना के दो मरीजों का इलाज मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी के जरिये किया गया है और इसमें डॉक्टरों को सफलता भी मिली है. डॉक्टरों ने बताया कि इन मरीजों को थैरेपी देने के 12 घंटे बाद ही अस्पताल से छुट्टी मिल गयी.
अस्पताल की डॉक्टर पूजा खोसला, सीनियर कंसल्टेंट मेडिसीन ने बताया कि 36 वर्षीय एक स्वास्थ्यकर्मी अस्पताल में तेज बुखार, खांसी, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और व्हाइट ब्लड सेल की कमी के बाद अस्पताल में भरती हुए थे. उन्हें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी दिया गया, जिसके बाद उनकी तबीयत में सुधार हुआ और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी.
दूसरे मरीज की आयु 80 वर्ष थी और वे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के शिकार थे. उन्हें तेज बुखार था. मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी से इन्हें 12 घंटे बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गयी. नोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी का प्रयोग इबोला और एड्स जैसी बीमारियों के इलाज में पहले भी किया जा चुका है.
डॉ पूजा खोसला ने कहा कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी का इस्तेमाल अगर सही समय पर किया जाये तो इसकी मदद से मरीजों को अस्पताल में भरती होने से मुक्ति मिल सकती है. साथ ही जो लोग हाई रिस्क पर होते हैं उन्हें फायदा मिलता है. इस थैरेपी के उपयोग से स्टॉराइड के प्रयोग को कम किया जा सकता है, जिससे ब्लैक फंगस के हमले को रोका जा सकता है.
Posted By : Rajneesh Anand