UAE India Relations: मुस्लिम देश यूएई कैसे बना भारत का जिगरी दोस्त, इतिहास में है सब दर्ज
UAE India Relations: अबू धाबी के ‘क्राउन प्रिंस’ ‘क्राउन प्रिंस’ शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान दो दिवसीय यात्रा पर भारत में हैं. जानें दोनों देशों के बीच कैसे रहे हैं रिश्ते
UAE India Relations: पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच अबू धाबी के ‘क्राउन प्रिंस’ शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान भारत की यात्रा पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापक वार्ता के लिए दो दिवसीय यात्रा पर वो पहुंच रहे हैं. अल नाहयान की यात्रा भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई, UAE) के बीच मजबूत संबंधों को और पक्की करेगी. नए और उभरते क्षेत्रों में साझेदारी के लिए रास्ते दोनों नेताओं की मुलाकात खोलेगी. मोदी और ‘क्राउन प्रिंस’ रविवार को द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर बातचीत करने वाले हैं. इस बीच जानते हैं दोनों देशों के रिश्तों के बारे में खास बातें
भारत और यूएई के बीच गहरी दोस्ती
भारत और यूएई की दोस्ती बहुत ही गहरी है. पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच राजनीतिक, व्यापार, निवेश, कनेक्टिविटी, एनर्जी, टेक्नोंलॉजी, शिक्षा और संस्कृति सहित कई क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को लेकर कई कदम उठाए गए हैं. मुस्लिम देशों के साथ धर्म निरपेक्ष देश भारत के रिश्ते फिलहाल अच्छे हैं. भारत के लिए यह मुस्लिम देश और इसका समर्थन कई मायनों में अहम है. दुनिया में इस्लाम या मुस्लिमों की शुरुआत से सैकड़ों साल पहले से भारत और यूएई (इसके पूर्ववर्ती अमीरात सहित) के बीच प्राचीन व्यापार होते रहे हैं. 1971 में अरब संघ के गठन के बाद भारत और यूएई के संबंधों में और घनिष्ठता आई.
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इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो 3000 ईसा पूर्व से भारत और यूएई में कारोबारी रिश्तों की छाप मिलती है. सुमेरियों ने यूएई के माध्यम से जुड़ते हुए मेलुहा ( सिंधु घाटी ), मगन (यूएई और ओमान ) और दिलमुन (बहरीन) के साथ कारोबार किया. समुद्री मार्गों ने दोनों देशों के रिश्तों में अहम भूमिका निभाई जिसने रेशम, मसाले, सोना और चीनी मिट्टी के लिए भारत के साथ अरब व्यापार को सुविधाजनक बनाया. इस्लामिक देश में तब्दील होने के बाद भी अरब देशों के लिए व्यापार अहम है. यही वजह रही कि भारत के साथ उसका संबंध बढ़ता ही गया.
नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद यूएई से कैसे रहे हैं रिश्ते
अगस्त 2015 में नरेंद्र मोदी की यूएई की ऐतिहासिक यात्रा के बाद, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक पहुंच गए. दोनों देशों ने सीमा पार लेनदेन के लिए भारतीय रुपया और एईडी (संयुक्त अरब अमीरात दिरहम) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए फरवरी 2022 में एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) और जुलाई 2023 में एक स्थानीय मुद्रा निपटान (एलसीएस) प्रणाली पर हस्ताक्षर किए. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में लगभग 85 अरब अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ दोनों देश एक-दूसरे के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से हैं. 2022-23 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मामले में भी यूएई भारत में शीर्ष चार निवेशकों में शामिल है. यूएई में भारतीय समुदाय के करीब 35 लाख लोग हैं, जो वहां सबसे बड़ा प्रवासी समूह है.
(इनपुट पीटीआई)