मोदी सरकार आने वाले मानसून सत्र में Uniform Civil Code बिल को ला सकती है. अगर ये बिल सदन में लाया जाएगा तो इसे लोकसभा के साथ राज्यसभा से भी पास करवाना सत्ताधारी दल के लिए अनिवार्य होगा. एक तरफ जहां लोकसभा में बीजेपी के अकले 300 से ज्यादा सांसद हैं वहीं, इस काल में राज्यसभा से इस बिल को पास कराने के लिए बीजेपी को बहुत दूर की कौड़ी लगानी पड़ सकती है.
राज्यसभा में इस समय 8 सीटें रिक्त हैं और कुल सदस्य संख्या 237 है. ऐसे में वर्तमान संख्याबल के आधार पर राज्यसभा से बिल पारित कराने के लिए 119 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी. बीजेपी सांसद हरद्वार दुबे का हाल ही में निधन हो गया था जिसके बाद पार्टी के पास राज्यसभा में 91 सांसद बचे हैं. बीजेपी के गठबंधन सहयोगियों की सीटें भी मिला लें तो संख्याबल 108 तक ही पहुंचता है.
वहीं इस बिल को लेकर कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब वो क्षेत्रीय दल हैं जिन्होंने अभी तक UCC को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं. अगर आम आदमी पार्टी यूसीसी के समर्थन में वोट नहीं करती है तो ऐसी स्थिति में बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस का रुख अहम हो जाएगा. इन दलों ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस, दोनों के ही राज्यसभा में नौ-नौ सांसद हैं जबकि बीजेडी के सात. तीनों दल अगर यूसीसी के पक्ष में वोट करते हैं को ये बिल उच्च सदन से भी आसानी के साथ पारित हो जाएगा.
एनडीए के सहयोगी दल अगर बीजेपी के पक्ष में वोटिंग करते हैं तो राज्यसभा में बीजेपी के 108 सांसदों का समर्थन होगा बावजूद इसके बिल को पास कराने के लिए बीजेपी को 11 राज्यसभा सांसदों की जरूरत होगी. वहीं राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 24 जुलाई को चुनाव होने हैं. एक सीट पर उपचुनाव भी है. इन चुनावों से सदन की तस्वीर पर कुछ ज्यादा असर पड़ता नहीं नजर आ रहा. 10 में से चार सीटें बीजेपी और पांच टीएमसी और एक कांग्रेस के कब्जे में हैं. जिस सीट पर उपचुनाव होना है वह टीएमसी सांसद के इस्तीफे से रिक्त हुई थी. उपचुनाव के बाद टीएमसी की स्ट्रेंथ में एक सीट का इजाफा होगा.
वहीं राज्यसभा में कांग्रेस के अभी 31 सांसद हैं. उच्च सदन में टीएमसी के 12, डीएमके के 10, जेडीयू के 5, एनसीपी के 4, शिवसेना यूबीटी के 3, सपा के 3, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के एक, लेफ्ट पार्टियों के दो, झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो, केरल कांग्रेस (एम) के एक, राष्ट्रीय जनता दल के छह सांसद हैं.
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