UCC Explainer: ‘लिव-इन’ की सूचना नहीं देने पर जेल, शादी के एक साल तक तलाक पर रोक, जानें यूसीसी की खास बातें
यूसीसी विधेयक में बहु विवाह पर रोक लगाई गयी है और कहा गया है कि एक पति या पत्नी के जीवित रहते कोई नागरिक दूसरा विवाह नहीं कर सकता. विधेयक में मुस्लिम समुदाय में तलाकशुदा पत्नी के लिए प्रचलित ‘हलाला’ को प्रतिबंधित करने के साथ ही उसे आपराधिक कृत्य घोषित करते हुए उसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है.
उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे सदन में पेश किया. यूसीसी विधेयक को पारित कराने के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन पेश ‘समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024’ विधेयक में धर्म और समुदाय से परे सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति जैसे विषयों पर एक समान कानून प्रस्तावित है. आइए विधेयक में और क्या खास है, उसको जानें.
बहु विवाह पर रोक, हलाला’ प्रतिबंधित
यूसीसी विधेयक में बहु विवाह पर रोक लगाई गयी है और कहा गया है कि एक पति या पत्नी के जीवित रहते कोई नागरिक दूसरा विवाह नहीं कर सकता. विधेयक में मुस्लिम समुदाय में तलाकशुदा पत्नी के लिए प्रचलित ‘हलाला’ को प्रतिबंधित करने के साथ ही उसे आपराधिक कृत्य घोषित करते हुए उसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है.
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शादी के एक साल तक नहीं ले सकते तलाक
उत्तराखंड विधानसभा में पेश यूसीसी विधेयक में तलाक को लेकर विशेष प्रावधान किए गए हैं. जिसमें कुछ खास स्थिति को छोड़कर कोर्ट में तलाक की कोई भी अर्जी तब तक प्रस्तुत नहीं की जाएगी जब तक कि विवाह हुए एक वर्ष की अवधि पूरी न हुई हो.
‘लिव-इन’ की सूचना नहीं देने पर तीन महीने की जेल, और 10 हजार का जुर्माना
विधेयक में ‘लिव-इन’ में रह रहे जोड़ों की सूचना आधिकारिक रूप से देना जरूरी बनाते हुए जोड़ों के बच्चों को जैविक बच्चों की तरह उत्तराधिकार देना प्रस्तावित है. विधेयक में कहा गया कि अगर एक माह के भीतर ‘लिव-इन’ में रहने की सूचना नहीं देने पर तीन माह की कैद या दस हजार रुपये का जुर्माना या दोनों दंड प्रभावी होंगे. इस संबंध में गलत सूचना देने पर भी दंड का प्रावधान किया गया है.
‘लिव-इन’ में रहने वाली महिला को छोड़ने पर देना होगा गुजारा-भत्ता
‘लिव-इन’ में रहने वाली महिला को अगर उसका पुरूष साथी छोड़ देता है तो वह उससे गुजारा-भत्ता पाने का दावा कर सकती है.
यूसीसी के दायरे से अनुसूचित जनजातियों को बाहर रखा गया
उत्तराखंड विधानसभा में पेश यूसीसी विधेयक में सबसे खास बात है कि इसके दायरे से प्रदेश में निवासरत अनुसूचित जनजातियों को बाहर रखा गया है.
यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा उत्तराखंड
कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा. गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है. यूसीसी पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था. वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सत्ता संभालने के साथ ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी.