Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने बुधवार को बताया कि हमें समान नागरिक संहिता पर भारी प्रतिक्रिया मिली है. कल तक हमें 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं. उन्होंने कहा कि यूसीसी कोई नई बात नहीं है. यह मुद्दा पहले भी उठ चुका है. हम सभी हितधारकों और संगठनों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने का प्रयास कर रहे हैं.
दरअसल, कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रितु राय अवस्थी के अगुवाई वाले विधि आयोग ने समान नागिरक संहिता के लिए दोबारा से राय मांगी है. विधि आयोग ने 14 जून को सार्वजनिक नोटिस जारी किया है. इससे पहले, 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर लोगों और हितधारकों से 7 अक्तूबर 2016 को राय मांगी थी. 19 मार्च 2018 और 27 मार्च 2018 को फिर से इसे दोहराया गया था. इसके बाद 31 अगस्त 2018 को विधि आयोग ने नागरिक कानून के सुधार के लिए सिफारिश की थी. चूंकि, पिछली राय को तीन साल से ज्यादा वक्त बीच चुका है. ऐसे में विषय की गंभीरता और कोर्ट के आदेशों को देखते हुए 22वें विधि आयोग ने इस विषय पर फिर से राय लेने का फैसला किया.
On Uniform Civil Code, Law Commission Chairman Justice Rituraj Awasthi told ANI," We have got a huge response over Uniform Civil Code after the communication of the notice by Law Commission. Till yesterday, we have received 8.5 lakh responses. UCC is not a new issue, the…
— ANI (@ANI) June 28, 2023
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों का एक कानून होगा. यानि शादी, तलाक, गोद लेने और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.
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