One Nation One Exam: NEET, JEE का CUET में विलय पर आया UGC का बड़ा अपडेट, छात्रों को मिली दो साल की राहत
यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई का केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा-स्नातक (सीयूईटी) के साथ विलय करने को लेकर अभी कोई औपचारिक फैसला नहीं हुआ है और छात्रों पर कुछ भी नहीं थोपा जायेगा.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई का केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा-स्नातक (सीयूईटी) के साथ विलय को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. जिससे छात्रों की बड़ी राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है.
यूजीसी ने कहा, छात्रों पर कुछ भी नहीं थोपा जायेगा
यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई का केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा-स्नातक (सीयूईटी) के साथ विलय करने को लेकर अभी कोई औपचारिक फैसला नहीं हुआ है और छात्रों पर कुछ भी नहीं थोपा जायेगा.
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केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने दो दिन पहले की कहा था, अभी नहीं होगा जेईई और नीट का सीयूईटी के साथ विलय
कुमार की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जबकि दो दिन पहले ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा था कि जेईई और नीट का सीयूईटी के साथ विलय करने की अगले दो वर्ष तक कोई योजना नहीं है.
यूजीसी ने नीट और जेईई का सीयूईटी के साथ विलय का लिया था फैसला
इससे पहले यूजीसी के अध्यक्ष ने पिछले महीने घोषणा की थी कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) का भविष्य में सीयूईटी के साथ विलय किया जायेगा. इस बीच, कुमार ने कहा, नीट और जेईई का सीयूईटी के साथ विलय का विचार हमने इसलिये आगे बढ़ाया ताकि इस पर विभिन्न पक्षकारों के बीच चर्चा हो सके. उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई औपचारिक निर्णय नहीं हुआ है, छात्रों पर ऊपर से कोई चीज नहीं थोपी जायेगी.
पर्याप्त चर्चा, राय और सुझावों के बाद विलय पर लिया जाएगा फैसला
यूजीसी के अध्यक्ष ने भारतीय उच्च शिक्षा में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और गुणवत्ता क्रांति लाने के विषय पर परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा, अगर कोई फैसला किया जाता है तब इससे 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले वर्तमान छात्रों को प्रभावित नहीं होने चाहिए. हमें उन्हें पर्याप्त समय देना चाहिए. यह कम से कम अगले दो वर्ष में लागू नहीं हो सकता है. कुमार ने कहा कि इसे पर्याप्त चर्चा करने और प्राप्त राय एवं सुझावों पर विचार करने के बाद किया जायेगा.