अप्रैल में भारत आएंगे ब्रिटिश PM बोरिस जॉनसन, व्यापार बढ़ाने के साथ-साथ ड्रैगन को घेरना होगा मकसद
Boris Johnson visit India: न्यूज़ एजेंसी ANI ने रॉयटर्स के हवाले से बताया कि बोरिस जॉनसन अगले महीने के आखिर में भारत आएंगे. यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने के बाद बोरिस जॉनसन की यह पहली बड़ी अंतर्राष्ट्रीय यात्रा होगी.
Boris Johnson visit India: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अप्रैल में भारत दौरे पर आएंगे. ब्रिटेन के अवसरों को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन अप्रैल के अंत में भारत का दौरा करेंगे, जो उनकी पहली प्रमुख अंतरराष्ट्रीय यात्रा होगी. बता दें कि भारत के 72वें गणतंत्र दिवस पर उन्हें आमंत्रित किया गया था, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच वह दौरा रद्द हो गया था.
UK Prime Minister Boris Johnson will visit India at the end of April in what will be his first major international trip after Britain’s exit from the European Union as part of efforts to boost UK opportunities in the region, his office said on Monday: Reuters pic.twitter.com/tvbxccjLDD
— ANI (@ANI) March 16, 2021
न्यूज़ एजेंसी ANI ने रॉयटर्स के हवाले से बताया कि बोरिस जॉनसन अगले महीने के आखिर में भारत आएंगे. यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने के बाद बोरिस जॉनसन की यह पहली बड़ी अंतर्राष्ट्रीय यात्रा होगी. जॉनसन ने दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता को गति देने के प्रयासों के तहत जनवरी में एक भारतीय यात्रा की योजना बनाई थी, पर वह दौरा कोरोना के कारण रद्द हो गया था .
बता दें कि भारत के 72वें गणतंत्र दिवस पर बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था. पर ये दौरा रद्द होने के बाद प्रधानमंत्री जॉनसन ने आने वाले महीनों में भारत दौरे पर आने की बात भी दोहराई थी. उन्होंने उस समय कहा था कि मेरे मित्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विनम्र आग्रह पर इस खास अवसर का साक्षी बनने को उत्साहित था, लेकिन कोरोना संकट के कारण नहीं आ सका.
दरअसल, यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के बाद अब बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के लिए नई संभावनाएं तलाश रहे हैं. चीन से यूके का कई मुद्दों पर मतभेद किसी से छिपा नहीं हैं. जॉनसन की सरकार ने पहले ही कहा कि यह आने वाले वर्षों के लिए सरकार की नीति की एकीकृत समीक्षा के हिस्से के रूप में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की ओर अपना ध्यान केंद्रित करेगा, यह क्षेत्र दुनिया के भू-राजनीतिक केंद्र का प्रतिनिधित्व करता है.