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डीआरडीओ की एंटी-कोविड दवा 2 डीजी आज होगी लॉन्च, मेडिकल ऑक्सीजन पर घटेगी निर्भरता

DRDOs Anti Covid Drug 2 DG कोरोना की दूसरी लहर के जारी कहर के बीच संक्रमित मरीजों के इलाज में अब मेडिकल ऑक्सीजन पर निर्भरता घटने से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल, डीआरडीओ की एंटी-कोविड दवा 2 डीजी को आज यानि 17 मई को लॉन्च किये की बात सामने आ रही है. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सोमवार को डीआरडीओ की एंटी कोविड दवा 2 डीजी के फर्स्ट बैच को रिलिज करने जा रहे है. जानकारी के मुताबिक, हैदराबाद की डॉक्टर रेड्डीज लैब में इसकी दस हजार डोज बनकर तैयार हो गई हैं.

DRDOs Anti Covid Drug 2 DG कोरोना की दूसरी लहर के जारी कहर के बीच संक्रमित मरीजों के इलाज में अब मेडिकल ऑक्सीजन पर निर्भरता घटने से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल, डीआरडीओ की एंटी-कोविड दवा 2 डीजी को आज यानि 17 मई को लॉन्च किये की बात सामने आ रही है. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सोमवार को डीआरडीओ की एंटी कोविड दवा 2 डीजी के फर्स्ट बैच को रिलिज करने जा रहे है. जानकारी के मुताबिक, हैदराबाद की डॉक्टर रेड्डीज लैब में इसकी दस हजार डोज बनकर तैयार हो गई हैं.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और डॉ. हर्षवर्धन द्वारा आज इसे रिलिज करने के साथ ही डीआरडीओ के अस्पतालों में यह उपलब्ध भी हो जाएगी. जानकारी के मुताबिक, डीआरडीओ के कहने पर डॉक्टर रेड्डीज लैब जून के महीने से हर हफ्ते एक लाख डोज बनना शुरू कर देगी. पानी में घोलकर पिलाने वाली यह दवाई जल्द ही देश के अन्य अस्पतालों में भी उपलब्ध हो सकती है. ग्लूकोज पर आधारित इस दवाई को लेकर डीआरडीओ का दावा है कि इसके सेवन से कोरोना से संक्रमित मरीजों को ऑक्सजीन पर ज्यादा निर्भर नहीं होना पड़ेगा और वे जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे. बताया जा रहा है कि ये एक जैनेरिक मोल्कियूल है और ग्लूकोज का एक ऐनोलोग है. इस कारण ये भरपूर मात्रा में मार्केट में उपलब्ध है. ये एक सैशे में पाउडर फॉर्म में मिलती है और पानी में घोलकर इसको इस्तेमाल किया जा सकेगा.

बता दें कि डीआरडीओ ने एंटी-कोविड दवा 2डीजी को डाक्टर रेड्डी लैब के साथ मिलकर तैयार किया है और क्लीनिकल-ट्रायल के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस दवाई को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए हरी झंडी दे दी है. मीडिया रिपोर्ट में डीआरडीओ के हवाले से बताया गया है कि क्लीनिक्ल-ट्रायल के दौरान पाया गया कि जिन कोविड-मरीजों को ये दवाई दी गई थी, उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट जल्द नेगेटिव आयी है. डीआरडीओ की दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ऐंड एलाइड साइंसेज ने हैदराबाद की रेड्डी लैब के साथ मिलकर इसे तैयार किया है.

परीक्षण के दौरान पाया गया कि सार्स-कोविड-2 वायरस के खिलाफ ये सही काम करता है और वायरल-ग्रोथ को रोकने में कामयाब है. इन परिणामों के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस दवाई के फेज-2 क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत दी. फेज-2 के क्लीनिकल ट्रायल के दौरान पाया गया कि ये कोरोना से ग्रस्त मरीजों पर कारगर साबित हो रही है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, फेज-2 के ट्रायल 11 अस्पतालों में 110 मरीजों पर किए गए. वहीं, रक्षा मंत्रालय की मानें तो फेज-3 के ट्रायल कुल 220 मरीजों पर किए गए. इन परिणामों में पाया गया कि जिन कोविड मरीजों को 2डीजी दवाई दी जा रही थी, उन्हें ऑक्सीजन देने की जरूरत बेहद कम पड़ रही थी. बताया जा रहा है कि 2डीजी दवाई कोरोना वायरस से ग्रस्त मरीज के शरीर में वायरस के साथ घुल जाती है. इसके चलते वायरस की ग्रोथ नहीं हो पाती. इसके वायरस के साथ मिल जाना ही इस दवाई को अलग बना देता है.

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