राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने युवाओं, संस्थाओं, शिक्षाविदों से मांगा सुझाव

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देश की नीति बताते हुए इसके क्रियान्वयन के लिये युवाओं, संस्थाओं, स्वयं सेवकों, शिक्षाविदों सहित सभी लोगों से सुझाव देने को कहा. एसोचैम द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 : शिक्षा का उज्ज्वल भविष्य' विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए निशंक ने कहा ‘‘ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सफलता हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 25, 2020 7:46 PM

नयी दिल्ली : शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को कहा कि कुछ देशों ने भी अपने यहां में नई शिक्षा नीति को लागू करने की इच्छा दिखाई है. नई शिक्षा नीति के बारे में उन्होंने कहा शायद यह दुनिया की पहली ऐसी नीति है जिसमें 1,000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 45,000 डिग्री कॉलेजों, 15 लाख स्कूलों, एक करोड़ शिक्षकों और प्रोफेसरों के साथ 33 करोड़ छात्रों और उनके माता-पिता, राजनेताओं, राज्य सरकारों आदि के साथ इतने बड़े परामर्श को देखा गया.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देश की नीति बताते हुए इसके क्रियान्वयन के लिये युवाओं, संस्थाओं, स्वयं सेवकों, शिक्षाविदों सहित सभी लोगों से सुझाव देने को कहा. एसोचैम द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 : शिक्षा का उज्ज्वल भविष्य’ विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए निशंक ने कहा ‘‘ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सफलता हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है.

यह एक टीम के रूप में काम करने का विषय है. एक साथ मिलकर ही हम सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय शिक्षा के क्रियान्वयन के संदर्भ में मैं देश के युवाओं, संस्थाओं, स्वयं सेवकों तथा शिक्षाविदों से आग्रह करता हूं कि वे बिना किसी संकोच एवं पूर्वाग्रह के अपने सुझाव दें तथा इस नीति को जमीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए जागरूकता अभियान एवं शिक्षा-संवाद की शुरुआत करें.”

निशंक ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में सरकार ने पैराग्राफ वार तरीके से सुझाव मांगे हैं. अब तक 15 लाख सुझाव प्राप्त हुए हैं.” उन्होंने कहा कि करीब 10 देशों ने हमसे नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर सम्पर्क किया है और उनके शिक्षा मंत्रियों ने अपने यहां भारत की नयी शिक्षा नीति के आयामों को लागू करने की इच्छा व्यक्त की है. मंत्री ने कहा कि कुछ लोग यह दलील दे रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रगति करने के लिये अंग्रेजी जानना जरूरी है. उन्होंने कहा, ‘‘ मैं कहना चाहता हूं कि हम अंग्रेजी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा होने से भारतीय भाषाएं मजबूत होंगी. सरकार किसी राज्य पर कोई भाषा थोपना नहीं चाहती है। हमें 22 भारतीय भाषाओं को मजबूत बनाने के पक्ष में हैं.”

निशंक ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश की नीति है, जिसमें सब का हित निहित है। जिस प्रकार का विस्तृत विमर्श, मंथन एवं चिंतन नीति के प्रथम चरण में हमें मिला, वह आशान्वित हैं कि उसी समावेशी सोच के साथ क्रियान्वयन में भी हमें ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ मिलेगा. उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्चतर शिक्षा तक व्यापक सुधारों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है.

फोकस इसी बात पर है कि शिक्षा की आधारशिला को मजबूती प्रदान कर ‍सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया जाए. केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह नीति क्षमता निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करती है. चाहे छात्रों का क्षमता निर्माण हो या फिर शिक्षकों और संस्थानों की। उन्होंने कहा, ‘‘ क्षमता निर्माण से राष्ट्र निर्माण का फार्मूला ही हमें सशक्त बनाएगा.”

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