मृत लोगों के इलाज कराने पर मीडिया के दावे पर आई केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा
मंत्रालय ने कहा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट, जिसमें सितंबर 2018 से मार्च 2021 की अवधि को कवर करने वाले आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएमजेएवाई) पर निष्पादन लेखा परीक्षा के परिणाम शामिल हैं, 2023 के मानसून सत्र में संसद में रखी गई थी.
पीएमजेएवाई के तहत मृत लोगों के इलाज कराने पर मीडिया के दावे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रतिक्रिया सामने आयी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि मीडिया में आई वो खबरें भ्रामक हैं जिनमें दावा किया गया है कि जिन लोगों का पहले ही निधन हो चुका है, आयुष्मान भारत पीएमजेएवाई योजना के ऐसे लाभार्थियों को व्यवस्था में अब भी उपचार लेते हुए दर्शाया गया है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि लाभार्थी की पात्रता तय करने में मोबाइल नंबरों की कोई भूमिका नहीं है.
मंत्रालय की टिप्पणी उन मीडिया खबरों के जवाब में आई है, जिनमें दावा किया गया था कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने बताया है कि ऐसे लाभार्थियों के लिये अब भी उपचार होते दिखाया जा रहा है जिन्हें सिस्टम में मृत घोषित किया जा चुका है. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि एक ही लाभार्थी को एक ही समय दो अस्पतालों में उपचार कराते भी पाया गया. मंत्रालय की ओर से कहा गया कि मीडिया में आई ये खबरें पूरी तरह से भ्रामक और गलत जानकारी वाली हैं.
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट पर क्या कहा मंत्रालय ने
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट, जिसमें सितंबर 2018 से मार्च 2021 की अवधि को कवर करने वाले आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएमजेएवाई) पर निष्पादन लेखा परीक्षा के परिणाम शामिल हैं, 2023 के मानसून सत्र में संसद में रखी गई थी. बयान में कहा गया कि एबी पीएमजेएवाई के तहत, अस्पताल में भर्ती होने के तीन दिन बाद की तिथि तक पूर्व-प्राधिकरण (प्री अथॉराइजेशन) के लिए अस्पतालों को अनुरोध शुरू करने की अनुमति है. यह सुविधा सीमित संपर्कता, आपातकालीन स्थितियों आदि के मामले में उपचार की मनाही करने से बचने के लिए प्रदान की गयी है.
इसमें कहा गया कि कुछ मामलों में, रोगियों को भर्ती कराया गया और उनका पूर्व-प्राधिकरण प्रस्तुत करने से पहले ही उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. बयान में कहा गया कि ऐसे मामलों में, मृत्यु की तिथि, भर्ती की तिथि के समान या उससे पहले की होती है. इसके अतिरिक्त उसी अस्पताल द्वारा मृत्यु की सूचना भी दी गई है जिसने पूर्व-प्राधिकरण अनुरोध प्रस्तुत किया था. इस प्रकार, यदि अस्पताल का उद्देश्य प्रणाली को धोखा देने का होता, तो उसने आईटी सिस्टम पर रोगी को मृत घोषित करने में कोई रूचि नहीं दिखाई होती.
नि:शुल्क उपचार के लिए योजना के तहत पंजीकृत करने का अनुरोध
इसमें कहा गया कि यह ध्यान रखना उचित है कि रिपोर्ट में रेखांकित 50 प्रतिशत से अधिक मामले सार्वजनिक अस्पतालों द्वारा दर्ज किये गये हैं, जिनके पास धोखाधड़ी करने के लिए कोई अतिरिक्त प्रोत्साहन प्राप्त नहीं है, क्योंकि पैसे की प्रतिपूर्ति अस्पताल के खाते में की जाती है. इसमें कहा गया कि इसके अलावा, उपचार के दौरान मृत्यु के मामले में, अस्पताल को अनिवार्य रूप से मृत्यु रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी. बयान में कहा गया कि ऐसे भी कई उदाहरण हैं जहां रोगी को एक निजी मरीज (स्व-भुगतान) के रूप में अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, लेकिन बाद में योजना और उसके तहत उसकी (रोगी की) पात्रता के बारे में पता चलने पर, रोगी अस्पताल से नि:शुल्क उपचार के लिए योजना के तहत पंजीकृत करने का अनुरोध करता है.
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पूर्व दिनांकित पूर्व-प्राधिकरण के लिए अनुरोध करने की यह सुविधा लाभार्थियों के जेब से होने वाले व्यय को बचाने में मदद करती है. एक ही रोगी के एक ही समय में दो अस्पतालों में उपचार का लाभ उठाने के संबंध में, यह नोट किया जा सकता है कि एबी पीएमजेएवाई के तहत पांच वर्ष तक के बच्चे अपने माता-पिता के आयुष्मान कार्ड पर उपचार का लाभ उठाते हैं. इसके अनुसार, आयुष्मान कार्ड का उपयोग बच्चों और माता-पिता में से किसी एक के लिए, एक साथ दो अलग-अलग अस्पतालों में किया जा सकता है.