रांची : भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) अब इस दुनिया में नहीं रहे. दशकों तक देश को अपनी सेवा देने वाले प्रणब मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में प्रणब दा का राजनीतिक कद बहुत तेजी से बढ़ा. उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया. ऐसा भी वक्त आया था, जब लगा था कि प्रणब दा को देश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए, लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो पाया.
कांग्रेस पार्टी जब भी मुश्किलों में घिरी, प्रणब दा उसके तारणहार बने. बीरभूम जिला के मिराटी गांव में 11 दिसंबर, 1935 को जन्मे प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस और कांग्रेस की सरकारों में कई पदों पर काम किया. प्रखर राजनेता प्रणब दा ने 15 जुलाई, 2012 को भारत के राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. कहा जाता है कि कांग्रेस जब भी संकट में होती थी, प्रणब मुखर्जी उस संकट का हल जरूर खोल लेते थे.
प्रणब मुखर्जी का सोमवार (31 अगस्त, 2020) को नयी दिल्ली स्थित आर्मी हॉस्पिटल में निधन हो गया. आज हम आपको भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के बारे में वैसी बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने शायद पहले कभी न सुना हो.
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बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भारत के दिग्गज राजनेता और कूटनीतिज्ञ प्रणब मुखर्जी प्रोफेसर भी रहे हैं. पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना स्थित विद्यासागर कॉलेज में वह 60 के दशक में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर हुआ करते थे.
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प्रणब मुखर्जी ने स्थानीय बांग्ला समाचार पत्र देशेर डाक के लिए एक पत्रकार की हैसियत से भी काम किया.
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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में प्रणब मुखर्जी वर्ष 1969 में राजनीति में आये. इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनवाया.
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प्रणब दा कर्मठ कार्यकर्ता थे. उन्हें लोग वर्कोहोलिक कहते थे. उनकी बेटी शर्मिष्ठा की मानें, तो वह दिन में 18 घंटे कड़ी मेहनत करते थे. मुश्किल से वह कभी छुट्टी लेते थे. हां, अमूमन वह दुर्गा पूजा में अपने पैतृक गांव मिराटी जाते थे और उन दिनों वह छुट्टी पर रहते थे.
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प्रणब मुखर्जी ने कई मंत्रालय संभाले. संभवत: वह देश के एकमात्र मंत्री होंगे, जिन्होंने रक्षा, वाणिज्य, विदेश और वित्त जैसे बड़े मंत्रालयों को संभाला.
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वर्ष 1984 में प्रणब मुखर्जी को विश्व का सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री का खिताब दिया गया था. यह खिताब यूरोमनी मैगजीन ने दिया था. वह भारत के एकमात्र वित्त मंत्री हैं, जिन्होंने 7 बार संसद में बजट पेश किया.
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इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब दा ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली थी. पार्टी का नाम था राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी.
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प्रणब दा के पास एक डायरी थी, जिसमें अपने जीवन की सभी अहम जानकारी उन्होंने दर्ज कर रखी है. उन्होंने डायरी में जो कुछ भी लिखा है, उनकी इच्छा थी कि उनके मरने के बाद वे चीजें सार्वजनिक की जायें.
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प्रणब मुखर्जी देश के एकमात्र वित्त मंत्री रहे, जिन्होंने उदारीकरण के पहले और उदारीकरण के बाद भी वित्त मंत्री की भूमिका निभायी.
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अफजल गुरु और अजमल कसाब की दया याचिका को प्रणब दा ने खारिज कर दिया था. भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद उन्होंने अपने कार्यकाल में 7 लोगों की दया याचिका खारिज की.
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राष्ट्रपति के रूप में प्रणब दा ने शिक्षक दिवस पर स्कूल के बच्चों को भारत की राजनीति का इतिहास पढ़ाया और इतिहास रच दिया. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नयी दिल्ली स्थित प्रेसिडेंट इस्टेट में छात्रों को बुलाकर इतिहास पढ़ाया था.
Posted By : Mithilesh Jha