उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 67 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है. विधानसभा चुनाव में इस जीत का कितना असर होगा यह बड़ा सवाल है. जमीनी स्तर पर भाजपा खुद को मजबूत करने में लगी है.
पंचायत चुनाव में मिली इस जीत का भारतीय जनता पार्टी को फायदा होगा. अगर पंचायत चुनाव के ट्रेंड पर नजर डालेंगे तो सत्ता पार्टी की पंचायत चुनावों में जीत नयी नहीं है. कई वेबसाइट पर चल रही भाषा की खबरों के अनुसार साल 2016 में 74 जिलों में हुए जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में सत्ता में रहते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) ने 59 सीटें जीती थीं. इस चुनाव में भाजपा और बसपा को पांच-पांच, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल को एक-एक और तीन सीटों पर सपा के ही बागी चुनाव जीते थे.
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सपा को 36 जिलों में निर्विरोध जीत मिली थी. इस बार 21 जिलों में भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध जीत गये. इस बार के चुनाव में भाजपा को 67 सपा को पांच, राष्ट्रीय लोकदल को एक और जनसत्ता दल को एक सीट मिली है.
एक सीट निर्दलीय को मिली है. अगर विधानसभा चुनाव पर पंचायत चुनाव के नतीजों का असर होता तो पिछली चुनाव में मिली जीत से सत्तारुढ़ पार्टियों को भी इसका लाभ मिलता हालांकि जीत और हार पार्टी की रणनीतियों पर मिलती है. भारतीय जनता पार्टी जीत के लिए इनका कैसे इस्तेमाल करती है यह चुनाव की रणनीतियों के धरातल पर उतरने के बाद ही देखने को मिलेगा.
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भाजपा इस जीत से उत्साहित है नेताओं की प्रतिक्रियाओं में विधानसभा चुनाव में जीत की उम्मीद साफ नजर आती है. अगर चुनाव के हार जीत के ट्रेंड पर नजर डालें तो पायेंगे 2011 में बसपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष की सर्वाधिक सीटें जीतीं और 2012 के विधानसभा चुनाव में हार गई. 2016 में जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में सपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीती और 2017 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार गई. यह हार जीत कई मायनों में यह साबित करती है कि इस जीत को विधानसभा में मिलने वाली हार जीत से जोड़कर देखना मुश्किल है.