कोरोना वैक्सीन की रफ्तार पूरी दुनिया में तेज हो और आसानी से लोगों को मिल सके इसके लिए भारत की उस पेशकश का अमेरिका ने समर्थन किया है जिसमें भारत और दक्षिण अफ्रीका ने इसे बौद्धिक संपदा अधिकार से बाहर रखने की अपील की थी.
अमेरिका ने इसका समर्थन करते हुए विश्व व्यापार संगठन के समक्ष भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का समर्थन करने की घोषणा की है. इसके पीछे यही उद्देश्य है कि अस्थायी रूप से एंटी-कोविड वैक्सीन पेटेंट को माफ किया जाये और वैक्सीनेशन की जरूरत को पूरा किया जाये.
इस वैक्सीन के पेटेंट में मिली छूट के बाद वैक्सीन के निर्माण में और तेजी आयेगी. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह फैसला कई देशों दबाव में लिया है साथ ही उन पर डेमोक्रेटिक सांसदों का भी दबाव था. दवा कंपनियां इस फैसले के विरोध में खड़ी है उनका कहना है कि इस फैसले के बाद उत्पादन में कमी आयेगी क्योंकि कॉन्ट्रैक्टर्स के पास तकनीक ही नहीं होगी तो उत्पादन कैसे होगा.
प्रमुख फार्मा कंपनियों और यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के कड़े विरोध के बावजूद प्रशासन ने ऐसा बड़ा फैसला लिया. अमेरिकी कंपनियों का तर्क था कि इससे उनकी बौद्धिक संपदा पर असर पड़ेगा. विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी ने भी राष्ट्रपति जो बाइडन और ताई को चिट्ठी लिखी थी.
दूसरी तरफ सरकार का पक्ष है कि बाइडन प्रशासन बौद्धिक संपदा सुरक्षा में दृढ़ता से विश्वास करता है लेकिन इस महामारी को खत्म करने के लिए Covid-19 रोधी टीकों के लिए छूट का समर्थन करता है.’ बाइडन प्रशासन का निर्णय विश्व व्यापार संगठन (WTO) की सामान्य परिषद के लिए प्रस्ताव को मंजूरी देने का रास्ता आसान बना देगा. भारत ने इसकी पहल की थी जिसका लाभ अब पूरी दुनिया को मिलेगा.