अमेरिकी दूत जल्मय खलीलजाद ने कहा-आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को तालिबान के साथ सीधी बात करनी चाहिए

अमेरिका के विशेष दूत जल्मय खलीलजाद का कहना है कि आतंकवाद के खात्मे के लिए भारत को सीधे तालिबान से बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए भारत किस तरह से ज्यादा सक्रिय भूमिका निभा सकता है इसपर उन्होंने दिल्ली में चर्चा की थी. उक्त बातें जल्मय खलीलजाद ने ‘दि हिंदू ’ अखबार के साथ विशेष बातचीत में कही.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2020 3:49 PM
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अमेरिका के विशेष दूत जल्मय खलीलजाद का कहना है कि आतंकवाद के खात्मे के लिए भारत को सीधे तालिबान से बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए भारत किस तरह से ज्यादा सक्रिय भूमिका निभा सकता है इसपर उन्होंने दिल्ली में चर्चा की थी. उक्त बातें जल्मय खलीलजाद ने ‘दि हिंदू ’ अखबार के साथ विशेष बातचीत में कही.

जल्मय खलीलजाद ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत एक अहम शक्ति है इसलिए यह उचित होगा कि भारत सीधे तौर पर अमेरिका के साथ बात करे. मेरिकी दूत ने कहा कि भारत की अफगानिस्तान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, लेकिन विडंबना यह है कि अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों में उसकी कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक संबंध हैं इसलिए मेरा ऐसा मानना ​है कि भारत और तालिबान के बीच बातचीत महत्वपूर्ण साबित होगी. साथ ही यह जरूरी होगा कि इस बातचीत में आतंकवाद के मुद्दे को सीधे तौर पर उठाया जाये.

ऐसा पहली बार हुआ है कि अमेरिका ने भारत और तालिबान के साथ बातचीत की सलाह दी है. भारत यह मानता है कि तालिबान एक आतंकवादी संगठन है जिसे पाकिस्तान का शह प्राप्त है, इसलिए वह अभी तक खुद को इस तरह की किसी भी बातचीत से अलग रखता है. अमेरिकी दूत के साथ बातचीत में विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा पर चिंता जतायी थी और यह कहा था कि वहां अल्पसंख्यकों खास अफगान सिख और हिंदुओं की रक्षा करने की जरूरत है.

गौरतलब है कि अमेरिकी-तालिबान समझौते के निर्माता खलीलज़ाद इस प्रयास में हैं कि यहां कैदियों की रिहाई हो और अंतर-अफगान वार्ता के समझौते में जो गतिरोध उत्पन्न हो रहा है उसे दूर किया जाये. इसी क्रम में वे दोहा , दिल्ली और इस्लामाबाद के दौरे पर थे. उन्होंने द हिंदू से कहा कि दोहा समझौते पर चिंताओं को हम समझते हैं यही कारण है कि हम यह चाहत हैं कि भारत अफगानिस्तान में तालिबान सहित सभी बलों को वार्ता में शामिल करेगा.

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