पद्म विभूषण से सम्मानित भारतीय शास्त्रीय संगीतकार उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान का 89 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया. भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण सम्मान दिया था. उन्होंने कई मशहूर गायकों को सीखाया था.
खान साहब ने रात 12.37 में अंतिम सांस ली उस वक्त वह मुंबई के बांद्रा स्थि अपने घर पर थे. अचानक उनकी तबीयत खराब हुई डॉक्टर को बुलाया गया लेकिन तबतक उनका निधन हो चुका था.
3 मार्च को उनका जन्मदिन था इस दिन वह अपना 90 वां जन्मदिन मनाते. ना सिर्फ इस परिवार को बल्कि संगीत जगह को उनके निधन से गहरी क्षति पहुंची है. उनके निधन की जानकारी बहू नम्रता गुप्ता खान ने दी. उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान की पहचान अलग थी. उनकी आवाज में वो जादू था जिसमें लोग खो जाते थे. अपनी आवाज से वह सभी को दिवाना बना देते थे. जो ठहराव और सुकून उनकी आवाज में थी अब वह कहीं सुनने को नहीं मिलेगी.
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उनके निधन की जानकारी सामने आने के बाद लता मंगेशकर, उस्ताद अमजद अली खान, ए आर रहमान सहित कई लोगों ने खेद प्रकट किया और अपने अनुभव भी साझा किये. भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्म श्री, 2006 में पद्म भूषण और 2018 में पद्म विभूषण अवॉर्ड से नवाजा था.
बहू नम्रता गुप्ता खान के साथ मिलकर लिखे गए अपने संस्मरण ‘ए ड्रीम आई लिव्ड एलोन’ में उन्होंने कब्रिस्तान में रियाज की कहानी बतायी थी. लॉचिंग के दौरान उन्होंने बताया कि मेरी उम्र करीब 12 बरस रही होगी. रियाज के लिए मैं कब्रिस्तान जाता था क्योंकि उस दौरान मुझमें डर और झिझक बहुत ज्यादा थी.
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उन्होंने बताया था कि मेरे उस्ताद रोज दोपहर के खाने के बाद सोते थे और मुझसे घर जाकर रियाज करने कहते थे, लेकिन घर में बहुत शोर-गुल होता था, इसलिए कब्रिस्तान बिलकुल सुनसान और सही जगह थी रियाज के लिए. मैं वहां खुलकर गा सकता था.