Uttarakhand: उत्तराखंड के पहाड़ी कस्बों में जमीन डूबने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. जोशीमठ कांड के बाद से ही दहशत में जी रहे यहां के निवासी कर्णप्रयाग में भी इसी तरह के मामले सामने आने के बाद और भी डरे हुए हैं. बता दें कि कर्णप्रयाग में 50 से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं. साथ ही यहां ‘लैंड सिंकिंग‘ की घटनाएं भी सामने आई हैं. इस मौके पर गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार और आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा सहित विशेषज्ञ भूवैज्ञानिकों की एक टीम ने जोशीमठ में भू-जल प्रभावित क्षेत्रों का गहन सर्वेक्षण किया. जानकारी हो कि जोशीमठ में एनडीआरएफ की टीम तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं.
इस दौरान टीम ने जोशीमठ के मनोहर बाग, सिंगधार, जेपी, मारवाड़ी, सुनील गांव, विष्णु प्रयाग, रविग्राम, गांधीनगर सहित सभी प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर सर्वे किया. उन्होंने तपोवन का भी दौरा किया और एनटीपीसी सुरंग के अंदर और बाहर किए जा रहे कार्यों का जायजा लिया. लगभग 50,000 की आबादी के साथ, कर्णप्रयाग समुद्र तल से 860 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि जोशीमठ 1,890 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. कर्णप्रयाग जोशीमठ से 80 किमी की दूरी पर स्थित है.
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कर्णप्रयाग के बहुगुणानगर, सीएमपी बैंड और सब्जी मंडी के ऊपरी हिस्से में रहने वाले 50 से अधिक परिवार भी दहशत में हैं. यहां घरों की दीवारों और आंगनों में दरारें और घरों की लटकती छत आपदा की पीड़ा कह रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंकज डिमरी, उमेश रतूड़ी, बीपी सती, राकेश खंडूरी, हरेंद्र बिष्ट, रविदत्त सती, दरवान सिंह, दिगंबर सिंह और गब्बर सिंह सहित 25 घरों में दरारें आ गई हैं.
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जानकारी हो कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जोशीमठ में भू-धंसाव का तेजी से अध्ययन करने के लिए एक पैनल का गठन किया. पैनल में पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन के प्रतिनिधि शामिल हैं. साथ ही जोशीमठ में राहत एवं बचाव कार्य जारी है.