उत्तरकाशी (Uttarakhand Election 2022) : चुनाव में वोट के लिए प्रत्याशी और उनके समर्थकों का मतदाताओं के घर-गांव में दस्तक देना तो आम है, लेकिन रवांई घाटी में इसके साथ ही अनूठी प्रथा भी निभाई जाती है. यहां मोरी और पुरोला ब्लाक में प्रत्याशी और उनके समर्थक वोट पक्का करने के लिए मतदाताओं को कसम भी दिलवाते हैं. लोटे के पानी में नमक डाल कर ली जाने वाली इस कसम को वोट की गारंटी माना जाता है. हालांकि, युवा पीढ़ी अब कसम को राजनीति से दूर रखने की वकालत करती है.
सीमांत जनपद उत्तरकाशी की रवांई घाटी के मोरी व पुरोला ब्लाक पुरोला विधानसभा क्षेत्र में आते हैं. यहां ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा व लोकसभा के चुनाव तक नमक-लोटा की कसम खूब चर्चा में रहती है. वर्षों से चली आ रही इस प्रथा के बारे में कहा जाता है कि इसे केवल जमीनी विवाद या आपसी मतभेद को दूर करने के लिए शुरू किया गया था. लेकिन इसका इस्तेमाल चुनाव में भी बढ़ता जा रहा है. बेहद गुपचुप ढंग से होने वाली कसम को प्रत्याशी व समर्थक वोट की गारंटी की तरह लेते हैं. बताया जाता है कि इसकी जानकारी भी केवल कसम लेने और दिलाने वाले को ही होती है. इसके अलावा किसी को नहीं. चुनाव में कितने लोगों को नमक-लोटा की कसम दिलवाई गई है, इसका विवरण भी अलग से रखा जाता है.
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क्षेत्र से संबंध रखने वाले युवा नेता दीपक सिंह का कहना है कि कसम दिलाकर मतदाता को बंधन में नहीं बांधा जाना चाहिए. उन्होंने कसम को राजनीति से अलग रखने की भी बात कही. कहा कि अब युवा पीढ़ी धीरे-धीरे जागरूक हो रही है और कसम की जगह प्रत्याशी की योग्यता देखकर वोट करती है. इधर, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित कहते हैं कि ये वोटर की इच्छा है कि वह किसे अपना वोट देना चाहता है. कोई शिकायत करता है कि उसे वोट के लिए डराया या धमकाया जा रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
नमक-लोटा की कसम लोटे (बर्तन) में नमक डालकर दिलाई जाती है, जिसमें कसम लेने वाला व्यक्ति ईष्ट देव को साक्षी मानकर पानी से भरे लोटे में नमक डालता है. वह कसम दिलाने वाले प्रत्याशी को वोट नहीं देने पर पानी में नमक की तरह गलने (बर्बाद) की बात कहता है. यही नमक-लोटा की कसम कहलाती है.