उत्तराखंड में आई तबाही (Uttarakhand Flood) ने कई परिवार को उजाड़ दिया है. अबतक करीब 14 लोगों की मौत की खबर है जबकि 150 से ज्यादा लोग लापता हैं. इस तबाही के कुछ प्रत्यक्षदर्शी सामने आये हैं जो अपनी आपबीती सुना रहे हैं. अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया ने ऐसी ही एक आपबीती की खबर प्रकाशित की है. रविवार की सुबह महात्मा देवी जिनकी उम्र 42 साल है, वो उत्तराखंड के जुगजु गांव से बाहर अपने घर से निकलीं.
महात्मा देवी को पड़ोस के रैनी गांव में जानवरों के लिए चारा और ईंधन की लकड़ी की जुगाड़ के लिए जाना था. उनके तीन बेटों में से एक अंकित (17) उस समय घर पर ही था जिसकी देखरेख रैनी गांव के मुखिया कर रहे थे. बीते दिन को याद करते हुए मुखिया संग्राम सिंह रावत ने अंग्रेजी अखबार को बताया कि मुझे वह सुबह 8 बजे नजर आईं थीं. मैं तीन लोगों के साथ पहाड़ पर ऊपर की ओर जा रहा था वह नीचे जा रही थीं. उनसे हमारी राम सलाम हुई और हम आगे बढ़ते चले गये.
आगे उन्होंने आगे बताया कि करीब एक घंटे बाद गरज की जोर से आवाज हमारे कानों तक पहुंची. हमने ऊपर देखा, साफ नीला आसमान भूरा हो चुका था. उसके बाद हमें अंकित के चीख सुनाई दी…वह चिल्ला रहा था मेरी मां को बचा लो…हमने देखा कि पानी की एक दीवार पहाड़ों के पार से हमारी ओर बढ़ती चली आ रही है. वह रास्ते में पड़ने वाली हर चीज- इंसान, जानवर और पेड़ों को अपने साथ बहाती ले जा रही है. हम खड़े असाहय केवल देखते रह गये..कुछ नहीं कर पाए…
इससे कुछ मीटर दूर ही रैनी चुकसा गांव की अनीता देवी जिनकी उम्र करीब 70 थी,वह अपने जानवर चराने में व्यस्त थीं…जब मलबे से भरी धौलीगंगा रैनी की ओर बढ़ती चली आ रही थी…इसी गांव के कुंदन सिंह ने हादसे के वक्त को याद करते हुए बताया कि अनीता देवी अपने पोते गोलू और बहू तनूजा के साथ थी…ये दोनों अनीता देवी को पीछे छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए भागते दिखें…हमने देखा बाढ़ अनीता देवी को बहा ले गई और हम कुछ नहीं कर पाये…
संग्राम सिंह ने बताया कि हादसे के वक्त पहाड़ों की ऊंचाई पर बसे लोग नीचे देख रहे थे कि कैसे नदी तबाही मचा रही है और अपने साथ उनके प्रियजनों और परिवारों को बहाकर ले जा रही है…लोग ‘भागो’ कहकर केवल चिल्लाते दिख रहे थे. हवा में धूल भरी थी, लोगों की सांस फूलती जा रही थी. लोग तेजी से भागने में भी असमर्थ थे…
Posted By : Amitabh Kumar