देहरादून : चमोली जिले के रिणी गांव में रविवार को नंदा देवी चोटी की तलहटी में ग्लेशियर फटने से ऋषि गंगा और धौलीगंगा जल विद्युत परियोजना के बैराज टूट गए, जिससे दोनों परियोजनाओं के डेढ़ सौ से अधिक मजदूर पानी के सैलाब में लापता हो गए. ये सभी मजदूर परियोजना में काम कर रहे थे. वहीं अभी ये खबर आयी है कि तपोवन डैम टनल में फंसे 16 लोगों को आईटीबीपी के जवानों ने सुरक्षित निकाल लिया है.
प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने भी करीब 150 मजदूरों के लापता होने की आशंका जताई है. बताया गया है कि रविवार का दिन होने से आज काम करने वाले मजदूरों की संख्या कम थी, अन्यथा घटना और भयावह हो सकती थी. सरकारी एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मौके का जायजा लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर आपदा में सभी लोगों की कुशलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है. उन्होंने कहा कि आपदा की इस घड़ी में पूरा देश उत्तराखंड के साथ खड़ा है. राहत और बचाव कार्यों के साथ ही एनडीआरएफ की तैनाती के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार अपडेट लिया जा रहा है.
ग्लेशियर फटने और अलकनंदा व सहायक नदियों में बाढ़ की सूचना मिलते ही चमोली जिले से लेकर हरिद्वार और ऋषिकेश तक सभी नदी तटों को खाली करा दिया गया है. हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे रह रहे लोगों और घाटों पर जुटे लोगों को मुनादी के जरिये वहां से सुरक्षित स्थान पर जाने को कह दिया गया और कुछ घंटों में सभी घाट और नदी तट खाली हो गए.
चंडीघाट क्षेत्र को सील कर दिया गया है. ऋषिकेश में त्रिवेणी और मुनिकी रेती क्षेत्र के घाटों को खाली कराया गया है। पशुलोक बैराज के सभी गेट खोल दिए गए. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब पानी का प्रवाह कम हो गया है। फिर भी एसडीआरएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को सभी संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात कर दिया गया है.
एनडीआरएफ को बुलाने के लिए गृह सचिव से बात हो गई है. केंद्र सरकार ने पूरी मदद का भरोसा दिलाया है. श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के डैम और ऋषिकेश में चीला बैराज को खाली करा दिया गया है. टिहरी बांध से पानी फिलहाल पूरी तरह रोक दिया गया है.