Uttarakhand Glacier Burst Latest News Updates उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार केा तपोवन में राहत और बचाव कार्यों पर आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, उत्तराखंड पुलिस और जोशीमठ के अन्य एजेंसियों के साथ बैठक की. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यहां आर्मी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी की टीमें बेहतर तालमेल के साथ बचाव अभियान कर रही है. मैं उनसे संतुष्ट हूं. अब तक 24 शव बरामद हुए हैं. बचाव अभियान तब तक चलेगा जब तक हम आखिरी छोर तक नहीं पहुंच जाते है.
Uttarakhand: CM Trivendra Singh Rawat holds meeting with ITBP, NDRF, SDRF, Uttarakhand Police & other agencies in Joshimath on rescue efforts in Tapovan.
— ANI (@ANI) February 8, 2021
He says, "All four forces are working in coordination. Rescue operation is underway." pic.twitter.com/PpnedympDt
गौर हो कि रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था और सोमवार को वह एक फिर तपोवन क्षेत्र में पहुंचे. जहां उन्होंने आपदा के बाद राहत एवं बचाव कार्य जानकारी की समीक्षा की. सीएम रावत ने आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के साथ जोशीमठ में बैठक कर इस बारे में पूरी जानकारी ली. वहीं, समाचार एजेंसी में उत्तराखंड आपदा केंद्र से हवाले से बताया गया है कि अभी भी197 लोग अभी लापता हैं.
उधर, उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि आज रात 8 बजे तक 26 शव बरामद किए गए हैं. 171 लोग अभी भी लापता हैं जिनमें से लगभग 35 लोग सुरंग में हैं, जहां बचाव अभियान अभी भी जारी है. वहीं, समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को इसरो के वैज्ञानिकों के हवाले से कहा कि रविवार को चमोली जिले में आपदा हिमखंड टूटने के कारण नहीं बल्कि लाखों मीट्रिक टन बर्फ के एक साथ फिसलकर नीचे आने की वजह से आई.
रैंणी क्षेत्र में ऋषिगंगा और धौलीगंगा में अचानक आई बाढ़ के कारणों पर यहां सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस के अधिकारियों और इसरो के वैज्ञानिकों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि दो-तीन दिन पहले वहां जो बर्फ गिरी थी, उसमें एक ट्रिगर प्वाइंट से लाखों मीट्रिक टन बर्फ एक साथ स्लाइड हुई और उसके कारण यह आपदा आई है. उन्होंने कहा कि वहां कोई हिमखंड नहीं टूटा है. रावत ने कहा कि इसरो की तस्वीरों में कोई ग्लेशियर नजर नहीं आ रहा है और पहाड़ साफ दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि वैसे भी हादसे वाली जगह आपदाओं के प्रति संवेदनशील नहीं है. रावत ने कहा कि तस्वीरों में पहाड़ की चोटी पर कुछ दिखाई दे रहा है जो ट्रिगर प्वाइंट हो सकता है जहां से बड़ी मात्रा में बर्फ फिसलकर नीचे आई होगी और नदियों में बाढ आ गई.
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