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मलबे में ड्रिलिंग का कार्य जारी, ड्रिलिंग पूरी होने के बाद कैमरे लगाकर होगी खोज
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लापता लोगों के परिजनों ने तपोवन पहुंचकर जताया विरोध, बोले, बैराज साइट में मलबे में दबे शवों को निकालो
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रैणी गांव के ऊपर बनी झील पर सेटेलाइट से नजर, मुख्यमंत्री बोले- 400 मी लंबी है झील
Uttarakhand glacier burst चमोली : चमोली जिले में ऋषि गंगा में आई बाढ़ के बाद से तपोवन में एनटीपीसी परियोजना (NTPC Project) की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की कोशिशें छठे दिन भी सफल नहीं हो पाई. सुरंग (Tapovan Tunnel) में करीब 35 लोग फंसे हैं. इन्हें बाहर निकालने के लिए सुरंग में मलबा हटाने का काम रात-दिन जारी है. शुक्रवार को सुरंग में ड्रिलिंग शुरू कर दी गई.
ड्रिलिंग पूरी होने के बाद कैमरे की मदद से सुरंग में लोगों की खोज की जायेगी. इस बीच, लापता लोगों का पता नहीं लगने पर उनके परिजनों ने तपोवन पहुंचकर विरोध जताया. एनटीपीसी के अधिकारियों और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए परिजनों ने आरोप लगाया कि बैराज साइट में मलबे में दबे शवों को निकालने का काम अभी तक शुरू नहीं किया गया है.
आपदा में अपने दो भाइयों को खो चुके रविंद्र थपलियाल का कहना था कि बैराज साइट में कई स्थानों पर खून के निशान अब भी नजर आ रहे हैं, लेकिन अभी तक यहां मलबा हटाने का काम शुरू नहीं किया गया है. आपदा में अभी तक कुल 38 लोगों के शव मिल चुके हैं. 166 लोग अभी भी लापता हैं.
इधर, रैणी गांव के ऊपर ऋषिगंगा के मुहाने पर झील बनने से रैणी और निकटवर्ती क्षेत्रों के ग्रामीण डरे और सहमे हैं. प्रशासन पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है. देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से कहा कि मामले में सरकार गंभीर है. सेटेलाइट के माध्यम से झील पर नजर रखी जा रही है. झील की लंबाई करीब 400 मीटर है, गहराई की अभी जानकारी नहीं हो पाई है.
उन्होंने कहा कि इससे सावधान रहने की जरूरत है, घबराने की नहीं. एसडीआरएफ और प्रशासन की टीम मौके पर गई है. हेलीकॉप्टर से भी मौके पर प्रशिक्षित लोगों की टीम को उतारने की कोशिश की जा रही है.
Posted By: Amlesh Nandan.