Uttarakhand glacier burst update: जानिए तपोवन टनल के बारे में, जहां उत्तराखंड त्रासदी के बाद फंसे हैं कई मजदूर, कल सुरक्षित निकाले गये थे 16 मजदूर
Uttarakhand glacier burst update चमोली : उत्तराखंड के चमोली जिले में सात फरवरी रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का क हिस्सा टूट जाने से ऋषिगंगा घाटी में अचानक आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. इस बाढ़ के कारण तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (Tapovan Vishnugad Hydro Power Project) और ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को काफी नुकसान पहुंचा है. तपोवन टनल (Tapovan Tunnel) में पानी भर जाने के बाद कई मजदूरों के लापता होने की सूचना है. कल शात तक 16 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था.
Uttarakhand glacier burst update चमोली : उत्तराखंड के चमोली जिले में सात फरवरी रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का क हिस्सा टूट जाने से ऋषिगंगा घाटी में अचानक आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. इस बाढ़ के कारण तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (Tapovan Vishnugad Hydro Power Project) और ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को काफी नुकसान पहुंचा है. तपोवन टनल (Tapovan Tunnel) में पानी भर जाने के बाद कई मजदूरों के लापता होने की सूचना है. कल शात तक 16 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था.
सरकार की ओर से बताया गया कि दोनों परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और 125 से ज्यादा मजदूर अब भी लापता हैं. स्थानीय प्रशासन ने बताया कि तपोवन परियोजना की एक सुरंग में फंसे सभी 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है जबकि लगभग 125 अब भी लापता है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो यहां से कई मजदूरों के शव भी बाहर निकाले गये हैं.
क्या है तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट
चमोली में एनटीपीसी ने साल 2004 में तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट शुरू किया था. इस परियोजना को 2012 तक तैयार हो जाना था. लेकिन 2012 में ही सुरंग खोदने के दौरान टीबीएम मशीन पर पहाड़ का कीचड़ और मलबा गिर गया. मशीन उसी के नीचे दब गयी. उसके बाद से प्रोजेक्ट का काम ठप पड़ गया. इसके बाद फिर से सुरंग काटने का काम शुरू हुआ जिसे 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया.
बता दें कि टीबीएम मशीन के सुरंग में फंस जाने से इस प्रोजेक्ट को काफी नुकसान हुआ. यह एक अत्याधुनिक मशीन है जो एक महीने में 800 से 900 मीटर तक सुरंग काट सकता है. इसकी एक बड़ी कमजोरी यह है कि यह जब एक बार सुरंग काटना शुरू करता है तो पहाड़ी के एक छोर से सुरंग काटते हुए दूसरी ओर निकलता है. इसे बीच से पीछे नहीं लाया जा सकता.
इस परियोजना के तहत कुल 12.3 किलोमीटर लंबी सुरंग बनानी थी. जिसमें 8.3 किलोमीटर सुरंग काटने का काम टीबीएम मशीन से किया जाना था. अक्टूबर 2020 में बताया गया था कि इस प्रोजेक्ट का 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. इस परियोजना के पूरा होने से उत्तराखंड के साथ साथ कई और राज्यों के भी बिजली के आवश्यकता का पूरा किया जा सकता है.
बाढ़ के समय 176 मजदूर कर रहे थे काम
बाढ़ के समय 13.2 मेगावाट की ऋषिगंगा परियोजना और एनटीपीसी की 480 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड परियोजना में लगभग 176 मजदूर काम कर रहे थे, जिसकी पुष्टि मुख्यमंत्री रावत ने स्वयं की. इनके अलावा, ऋषिगंगा परियोजना में ड्यूटी कर रहे दो पुलिसकर्मी भी लापता हैं. हालांकि, इन 176 मजदूरों में से कुछ लोग भाग कर बाहर आ गये. दोनों परियोजनाओं के शीर्ष अधिकारी नुकसान का आकलन करने में जुट गए हैं.
Posted By: Amlesh Nandan.