Uttarakhand Glacier Flood: केदारनाथ त्रासदी समेत इन बड़े हादसों की भयावह यादें फिर से हुई ताजा, गुजरे वर्षों के तबाही पर एक नजर

Uttarakhand Flood उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन क्षेत्र में ग्लेशियर के टूटने के बाद कई गांव भीषण संकट में हैं. उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी पर 13.2 मेगावाट की एक छोटी पनबिजली परियोजना बह गयी है. हालांकि, निचले इलाकों में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है. बताया जा रहा है कि जल स्तर के सामान्य होने से बाढ़ का खतरा टल गया है. इन सबके बीच, रविवार को चमोली हादसे को देखते हुए आठ पहले हुए केदारनाथ त्रासदी की भयावह यादें फिर से ताजा हो गयी. केदारनाथ हादसे में कई लोगों की जान गयी थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 7, 2021 9:59 PM

Uttarakhand Flood उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन क्षेत्र में ग्लेशियर के टूटने के बाद कई गांव भीषण संकट में हैं. उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी पर 13.2 मेगावाट की एक छोटी पनबिजली परियोजना बह गयी है. हालांकि, निचले इलाकों में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है. बताया जा रहा है कि जल स्तर के सामान्य होने से बाढ़ का खतरा टल गया है. इन सबके बीच, रविवार को चमोली हादसे को देखते हुए आठ पहले हुए केदारनाथ त्रासदी की भयावह यादें फिर से ताजा हो गयी. केदारनाथ हादसे में कई लोगों की जान गयी थी.

खास बात यह है कि वर्ष 2013 की तरह इस बार बारिश नहीं थी और आसमान पूरी तरह साफ था. जिससे हेलीकॉप्टर उड़ाने में मौसम बाधा नहीं बना. साथ ही एसडीआरएफ की टीमें जल्द ही घटनास्थल पर पहुंच गयीं और बचाव अभियान तुरंत शुरू कर दिया गया. दिल्ली से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आपदा की खबर सुनते ही अलर्ट हो गए तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संपर्क बनाए हुए है. पीएम मोदी और अमित शाह दोनों ने उत्तराखंड को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है.

इससे पहले प्राकृतिक आपदाओं राज्य उत्तराखंड में हुए ऐसे भीषण हादसों पर एक नजर…

– उत्तराखंड के लोग इससे पहले भी केदारनाथ त्रासदी (16 जून 2013) झेल चुके है. कई लोगों (4500 से ज्यादा लोगों) ने इस हादसे में अपनी जान गंवाई थी और कई गायब लोगों की तलाश नहीं हो पायी थी. करीब 4000 से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया था. केदारनाथ त्रासदी के दौरान सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आइटीबीपी की टीमों ने महाअभियान चलाकर यात्रा मार्ग में फंसे नब्बे हजार यात्रियों और तीस हजार से ज्यादा लोगों का बचाया गया था.

– साल 2020 में पिथौरागढ़ में चैसर गांव में एक मकान ढह गया. घटना सुबह हुई थी, इस कारण लोगों को बचने का मौका नहीं मिल पाया था.

– अगस्त 2019 में उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील में बारिश से उफनाए नालों की वजह से करीब दो सौ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था और करीब आधे दर्जन लोगों की जान गयी थी.

– साल 1999 में चमोली जिले में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप ने 100 से अधिक लोगों की जान चली गयी थी. वहीं, पड़ोसी जिले रुद्रप्रयाग में भारी नुकसान हुआ था. भूकंप के चलते सड़कों एवं जमीन में दरारें आ गई थीं.

– साल 1998 में पिथौरागढ़ जिले का छोटा सा गांव माल्पा भूस्खलन के चलते बर्बाद हुआ था. हादसे में 55 कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं समेत करीब 255 लोगों की मोत हुई थी. भूस्खलन से गिरे मलबे के चलते शारदा नदी बाधित हो गई थी.

– 1991 में आए भूकंप की वजह से उत्तरकाशी में चट्टानें कमजोर हो गई थीं. जिसके बाद ज्यादा बारिश के कारण चट्टानें जगह-जगह से दरक गयी थीं.

– उत्तरकाशी आराकोट में साल 2019 में आए आपदा से इलाके का लगभग 70 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र प्रभावित हुआ था. वहीं, कई इलाकों में संपर्क से लेकर जलसंकट तक गहरा गया था.

Also Read: Chamoli Glacier Burst : चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना के पीछे जानिए क्या है वजह, दुनिया भर में बढ़ रहे तापमान से हिमालयी क्षेत्र को काफी खतरा!

Upload By Samir Kumar

Next Article

Exit mobile version