Uttarakhand Glacier Flood उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर फटने की घटना से भारी तबाही हुई है. मिल रही जानकारी के अनुसार, चमोली त्रासदी में अब तक करीब 150 लोग लापता हैं, जबकि अभी तक 10 शव बरामद हो चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट में हिमालयी क्षेत्र को दुनिया भर में बढ़ रहे तापमान से काफी खतरा बताया गया है. बताया जा रहा है कि जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है, सन 2100 तक हिमालय के 70 से 90 फीसदी ग्लेशियर पिघल सकते हैं. असल तबाही इसके बाद आने की आशंका जाहिर की गई है.
वहीं, चमोली त्रासदी के पीछे एक अहम वजह कोरोना का असर भी माना जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से बताया जा रहा है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर लगाए गये लॉकडाउन से जलवायु में परिवर्तन आया और ऊपरी वातावरण इतना साफ हो गया कि ग्लेशियर पर जमी बर्फ धीरे-धीरे पिघलने की बजाय बहुत तेजी से पिघली और हिमनद फट गया.
ग्लेशियरों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के हवाले से बताया जा रहा है कि आने वाले समय में भी ऐसे खतरों के बने रहने की आशंका है. एक प्रमुख हिंदी समाचार पत्र अमर उजाला की रिपोर्ट में भारतीय मौसम विज्ञान सोसाइटी में उत्तर भारत के चेयरपर्सन और वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसपी भारद्वाज के हवाले से बताया गया है कि उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर के फटने की बहुत-सी वजह हो सकती है. वजहों को तलाशा जाएगा, लेकिन प्रथम दृष्टया सूरज की ज्यादा तपिश के चलते ग्लेशियर की बर्फ न सिर्फ बहुत तेजी से पिघली बल्कि ग्लेशियर के ऊपरी हिस्से में जमी बर्फ ज्यादा होने के चलते खिसकी है. जिससे हिमनदों के निचले हिस्से में जमें पानी के स्रोत टूट गए और तीव्र गति से पास की धौलगंगा नदी में बह गए और इसने तबाही मचा दी.
वहीं, इस रिपोर्ट में डॉक्टर एसपी पाल के हवाले से बताया गया है कि कोरोना में लगे लॉकडाउन से मौसम बहुत साफ हुआ है. मैदानी इलाकों से हिमालय की श्रृंखलाएं दिखने लगीं थी, तभी अनुमान लगाया गया था कि इस बार जलवायु परिवर्तन के आंशिक असर दिखने लगेंगे. उधर, पर्यावरणविद रमेश कुमार पांडेय के अनुसार, जिस तरह की घटना रविवार को चमोली में हुई है वो हिमालयन रीजन में कोई अनोखी नहीं हैं. उनका मानना है कि कई बार एवलांच होने से भी ऐसी घटनाएं होती हैं.
Upload By Samir Kumar