Kanwar Yatra सावन महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया है. कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) के संभावित खतरे के मद्देनजर उत्तराखंड की सरकार (Uttarakhand Government) ने कांवड़ यात्रा को मंजूरी नहीं देने का निर्णय लिया है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) की सरकार ने कांवड़ यात्रा को रद्द करने का फैसला लिया है. वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा कराने का फैसला लिया है.
बताया जा रहा है कि कोरोना के बीच कुंभ कराने को लेकर लगातार आलोचना झेलने वाली उत्तराखंड सरकार ने इस बार कांवड़ यात्रा को रद्द करने का फैसला लिया है. इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ यात्रा रद्द करने के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था कि कांवड़ यात्रा आस्था की बात जरूर है, लेकिन लोगों की जिंदगी भी दांव पर नहीं लगाई जा सकती. उन्होंने यह भी कहा था कि यह भगवान को भी अच्छा नहीं लगेगा कि कांवड़ यात्रा के कारण लोग कोरोना से अपनी जान गंवाए.
वहीं, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 जुलाई से शुरू होने वाली पारंपरिक कांवड़ यात्रा को कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन में निकालने और आवश्यकता के अनुसार आरटीपीसीआर की निगेटिव जांच रिपोर्ट की अनिवार्यता को भी लागू किये जाने का निर्देश दिया है. कोविड-19 पर मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अधिकारियों के साथ बैठक के बाद जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि पारंपरिक कांवड़ यात्रा कोविड प्रोटोकॉल के साथ होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड संक्रमण की स्थिति को देखते हुए कांवड़ संघों से संवाद कर न्यूनतम लोगों की सहभागिता का अनुरोध किया जाए और दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड राज्यों से संवाद कर यात्रा के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए जाएं.
उल्लेखनीय है कि एक पखवाड़े चलने वाली यात्रा श्रावण महीने की शुरुआत 2 जुलाई से आरंभ होकर और अगस्त के पहले हफ्ते तक चलेगी. जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के करोड़ों कांवड़िए गंगा का पवित्र जल लेने के लिए हरिद्वार में जमा होते हैं. पिछले साल कोरोना वायरस की पहली लहर की वजह से यात्रा को रद्द कर दिया गया था. वहीं, इसी साल उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले में बड़े पैमाने पर कोरोना के मामले मिले थे और इसके लिए सरकार की आलोचना भी हुई थी. यही नहीं कोरोना की दूसरी लहर के तेज होने के पीछे राज्यों के विधानसभा चुनाव, पंचायत चुनाव और कुंभ मेले को जिम्मेदार माना गया था.
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