आय से अधिक संपत्ति मामले में IAS रामविलास यादव गिरफ्तार, उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दायर की थी याचिका
उत्तराखंड के आईएएस अधिकारी राम विलास यादव को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में आज सतर्कता विभाग ने गिरफ्तार कर लिया है. आईएएस को बीते दिनों सरकार ने निलंबित कर दिया था.
उत्तराखंड में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी आईएएस अधिकारी राम विलास यादव को आज सतर्कता विभाग ने गिरफ्तार किया है. राम विलास यादव को बुधवार को उत्तराखंड सरकार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. वह प्रदेश में अपर सचिव पद पर तैनात थे.
राम विलास यादव गिरफ्तार
मामले में अपर पुलिस महानिदेशक (सतर्कता) अमित सिंहा ने बताया कि भ्रष्टाचार के साक्ष्य मिलने और लंबी पूछताछ के दौरान संतोषजनक जवाब न हासिल होने के बाद यादव को बुधवार देर रात करीब सवा दो बजे गिरफ्तार कर लिया गया था. सिंहा के मुताबिक, मई में दर्ज मामले की प्राथमिक जांच के दौरान यादव के पास आय से 522 फीसदी अधिक संपत्ति होने की जानकारी मिली थी.
राम विलास यादव के खिलाफ मिले कई दस्तावेज
उन्होंने कहा, ”जांच में हमें भ्रष्टाचार में यादव की संलिप्तता को लेकर कई ऐसे दस्तावेज और साक्ष्य मिले थे, जिनके आधार पर हमने उनके घर पर दबिश दी थी और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था.” सिंहा के अनुसार, पूछताछ में यादव सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने बताया कि आरोपी अधिकारी उत्तर प्रदेश के लखनऊ में दिलकश विहार स्थित विद्यालय, नोएडा में क्रय भूमि की रजिस्ट्री, गाजीपुर जिले में 10 बीघा जमीन, सावधि जमा और अन्य खातों में जमा धनराशि, पारिवारिक सदस्यों के बैंक खातों में जमा धनराशि एवं पारिवारिक खर्चों के बारे में न तो कोई संतोषजनक जवाब दे पाए और न ही कोई अभिलेख प्रस्तुत कर सके.
राम विलास यादव ने दायर की थी याचिका
अमित सिंहा के मुताबिक, अब तक जांच में उपलब्ध अभिलेखों और यादव से पूछताछ के आधार पर उनकी कुल वार्षिक आय 50 लाख 48 हजार 204 रुपये और व्यय तीन करोड़ 12 लाख 37 हजार 756 रुपये होना पाया गया है, जो अनुपात में नहीं है. उन्होंने बताया कि आरोपी अधिकारी आय और व्यय की इस रकम में अंतर का कारण स्पष्ट नहीं कर पाए. इससे पहले, सतर्कता विभाग की ओर से यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में चल रही जांच में उनके सहयोग न करने और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए बुधवार को उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था. गिरफ्तारी से बचने के लिए यादव ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. हालांकि, अदालत ने यादव को कोई राहत न देते हुए उन्हें सतर्कता विभाग के समक्ष बयान दर्ज कराने का आदेश दिया था. इसी क्रम में वह बुधवार को सतर्कता विभाग के समक्ष पूछताछ के लिए पेश हुए थे. (भाषा)
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