उत्तराखंड : 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया बद्रीनाथ मंदिर, जानें कब से बंद होंगे कपाट
Badrinath Temple भगवान बद्री विशाल के कपाट 20 नवंबर को शाम छह बजकर 45 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगें. इससे पहले प्रत्येक दिन भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया जारी है. कपाट बंद होने के उत्सव को यादगार बनाने के लिए देवस्थानम बोर्ड तैयारियों में जुटा है.
Badrinath Temple भगवान बद्री विशाल के कपाट 20 नवंबर को शाम छह बजकर 45 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगें. इससे पहले प्रत्येक दिन भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया जारी है. कपाट बंद होने के उत्सव को यादगार बनाने के लिए देवस्थानम बोर्ड तैयारियों में जुटा है. इसी कड़ी में 20 क्विंटल रंग विरंगे फूलों से बद्रीनाथ मंदिर को सजाया गया है.
कपाट बंद होने के बाद उद्धव जी, कुबेर जी व शंकराचार्य जी की गद्दी डोली बदरीनाथ में ही रात्रि प्रवास कर 21 नवंबर को पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी. वहीं, शुक्रवार को ढाई हजार से ज्यादा तीर्थ यात्रियों ने श्री बदरीनाथ धाम के दर्शन किए. इसके साथ ही श्री बदरीनाथ धाम के दर्शन को 1,91,106 तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं. कपाट बंद होने के अवसर पर दिनभर मंदिर में यात्री दर्शन कर सकेंगें.
#WATCH | Uttarakhand: Badrinath Temple decorated with 20 quintals of flowers ahead of the closing of its portals for winter break tomorrow pic.twitter.com/i0q0FjlDN0
— ANI (@ANI) November 19, 2021
मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद भी कोई शक्ति बद्रीनाथ धाम पहुंचकर नारायण पूजा करती है. इस शक्ति के पैरों के निशान मिलने के दावे भी किए जाते हैं. बता दें कि चार धामों में से बद्रीनाथ एक ऐसा धाम है, जहां शीतकाल के लिए कपाट बंद होने की प्रक्रिया पांच दिन चलती है. भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया का साक्षी बनने के लिए दूर-दूर से तीर्थयात्री यहां पहुंच रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद होने के बाद धाम में किसी को रहने की अनुमति नहीं होती. मंदिर परिसर के आसपास केवल साधु संत ही तपस्या करते हैं और वो सुरक्षा के लिए बद्रीनाथ धाम में रहते हैं. उन्हें भी मंदिर परिसर से दूर रहने की अनुमति दी जाती है.
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