अल्मोड़ा (उत्तराखंड) : यहां का जिला जेल शायद अकेला होगा कि जब भी छापा पड़ा आपत्तिजनक चीजें बरामद हुईं. वह भी तब जब हर बार कार्रवाई भी हुई थी. तीन महीने में तीन बार यहां छापा मारा गया. हर बार मोबाइल फोन आदि आपत्तिजनक चीजें बरामद हुईं. जेल से रंगदारी मांगने और नशा कारोबार चलाने के मामले में भी यह जेल बदनाम रही है. अब अधिकारी माथा धुन रहे हैं कि कैसे व्यवस्थाओं को पटरी पर ले आएं.
एसटीएफ और पुलिस की दो कार्रवाई के बाद अब तीसरी बार जेल प्रशासन की गई कार्रवाई में भी जेल से मोबाइल फोन आदि बरामद होने पर आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी के साथ ही एक अन्य कैदी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. फिलहाल जेल प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि कैदी इस बार किस धंधे के लिए मोबाइलों का इस्तेमाल कर रहे थे.
अल्मोड़ा जिला जेल में बंद कैदियों द्वारा जेल के अंदर से ही रंगदारी मांगे जाने की सूचना पर एसटीएफ और पुलिस ने चार अक्टूबर को जेल में छापा मारा था. इसमें टीम को तीन मोबाइल, चार सिम कार्ड और डेढ़ लाख की नगदी बरामद हुई थी. तब हत्यारोपी कलीम और उसके साथी महिपाल को मुख्य आरोपी बनाया गया था. प्रभारी जेलर और चार बंदी रक्षकों को निलंबित किया गया था. इसके बाद 24 नवबंर को एसटीएफ और पुलिस ने फिर एक बार छापा मारा तब भी यहां से मोबाइल और सिम बरामद हुए थे. अब तीसरी बार 09 दिसबंर को जेल प्रशासन ने ही जेल में छापा मार दिया. इस कार्रवाई में भी दो कैदियों के पास से तीन मोबाइल फोन, 10 सिम कार्ड, 10 डाटा केबल और दो माबाइल कवर बरामद हुए.
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प्रभारी अधीक्षक जिला कारागार जयंत पांगती ने इस संबंध में जिला पुलिस को तहरीर सौंपी जिसके आधार पर पुलिस ने उत्तराखंड निवासी कैदी महिपाल और यूपी के सलीम के खिलाफ कैदी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
जिला जेल में इससे पहले दो बार एसटीएफ और पुलिस छापा मार चुकी है और दोनों बार मोबाइल व सिम बरामद हुए हैं. अब तीसरी बार फिर मोबाइल और सिम बरामद होने से यह स्पष्ट होता है कि दो बड़ी कार्रवाई के बाद भी जेल में मोबाइल फोन आये. पहली बार मिले मोबाइल अल्मोड़ा शहर से ही खरीदे जाने की पुष्टि हुई थी. दूसरी बार मिले मोबाइल महिपाल ने बाहर से मंगाए थे. अब तीसरी बार मोबाइल लोकल से खरीदे गए या फिर अभी भी बाहर से जेल में मोबाइलों की सप्लाई हो रही है यह जांच का बिषय है.
तीसरी कार्रवाई से यह भी सवाल खड़ा होता है कि क्या जेल में अभी अवैध धंधों का नेटवर्क धवस्त नहीं हुआ. हर बार जेल में मंगाए गए मोबाइलों से अलग-अलग अवैध धंधे किए गए. इस बार फिर जेल में मोबाइल मिले. इनसे भी रंगदारी या चरस कारोबार को अंजाम दिया जा रहा था या फिर कोई नया काम लिया जा रहा था. फिलहाल यह जांच के बाद स्पष्ट होगा.
एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि अल्मोड़ा जिला कारागार के प्रभारी अधीक्षक जयंत पांगती ने पुलिस को तहरीर सौंपी है. उसके आधार पर जेल में बंद कैदी महिपाल और सलीम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है.