मशीन ने सुरंग में मलबे को 12 मीटर तक भेदा, जल्द बाहर आएंगे फंसे मजदूर
नोएडा में एटी फोर्टिस अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के निदेशक डॉ अजय अग्रवाल ने कहा कि इतने लंबे समय से बंद जगह पर रहने के कारण बाहर आने के बाद भी श्रमिकों को ‘पैनिक अटैक’ जैसी समस्याएं आ सकती हैं.
भारी और अत्याधुनिक ऑगर मशीन ने बृहस्पतिवार को सिलक्यारा सुरंग में मलबे को 12 मीटर तक भेद दिया जिससे पिछले चार दिनों से अधिक समय से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों के जल्द बाहर आने की उम्मीदें बढ़ गयीं. अधिकारियों ने शाम को कहा कि मलबे में ड्रिलिंग करने से बने रास्ते में छह मीटर का एक स्टील पाइप डाल दिया गया है जबकि दूसरा पाइप लगाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 800 मिमी और 900 मिमी व्यास के बड़े पाइपों को एक के बाद एक ऐसे डाला जाएगा जिससे मलबे के दूसरी ओर एक ‘एस्केप टनल’ बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं. इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग के दौरान भूस्खलन होने से काम को बीच में रोकना पड़ा था. बाद में वह ऑगर मशीन भी खराब हो गयी थी.
इसके बाद भारतीय वायु सेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी अत्याधुनिक बड़ी ऑगर मशीन दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गयी जिससे अब दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गयी है. नई शक्तिशाली ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू करने से पहले बचाव अभियान की सफलता के लिए सिलक्यारा सुरंग के बाहर पूजा भी संपन्न की गयी. घटनास्थल पर बचाव कार्यों का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे केंद्रीय नागर विमानन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवत्त) वीके सिंह ने मजदूरों को बाहर निकालने के अभियान के पूरा होने के लिए अधिकतम समयसीमा ‘दो या तीन दिन’ बताई. हालांकि राज्य भर में बन रही सभी सुरंगों की समीक्षा का निर्णय लेने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बचाव अभियान के पूरा होने के समय को लेकर अधिक आशान्वित दिखे.
दिन में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, मुझे बताया गया है कि नई ड्रिलिंग मशीन मलबे को पांच-सात मीटर तक भेद चुकी है. हमें उम्मीद है कि प्रति घंटे पांच से सात मीटर तक भेदन क्षमता वाली यह मशीन जल्दी ही फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंच जाएगी. इस बीच, सिलक्यारा पहुंचे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हैं और उनसे लगातार बातचीत हो रही है. एनएचआईडीसीएल की ओर से सुरंग का निर्माण कर रही नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी जीएल नाथ ने कहा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को हर आधे घंटे में खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाया जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री ने सुरंग में फंसे श्रमिकों से बातचीत की. बाद में उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि उनका मनोबल ऊंचा है और उन्हें पता है कि सरकार उन्हें बाहर निकालने के लिए सब तरह के प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि बचाव अभियान के लिए देश और विदेश के विशेषज्ञों की राय ली जा रही है. देहरादून में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर में बन रही सुरंगों की समीक्षा करने का निर्णय लिया है. धामी ने कहा, हमें ऐसी सुरंगें चाहिए और प्रदेश में कई सुरंगें बन भी रही हैं. इन सभी सुरंगों की हम समीक्षा करेंगे. उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास एक छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ मेडिकल टीमें भी तैनात हैं जिससे श्रमिकों को बाहर निकलने पर उन्हें तत्काल चिकित्सीय मदद दी जा सके.
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उधर, चिकित्सकों का कहना है कि श्रमिकों को बाहर आने के बाद शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्यलाभ की जरूरत होगी. नोएडा में एटी फोर्टिस अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के निदेशक डॉ अजय अग्रवाल ने कहा कि इतने लंबे समय से बंद जगह पर रहने के कारण बाहर आने के बाद भी श्रमिकों को ‘पैनिक अटैक’ जैसी समस्याएं आ सकती हैं. चारधाम ऑल वेदर सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा रविवार सुबह ढह गया था.