उत्तरकाशी हादसा : मजदूरों के निकलते ही कहां गए सीएम धामी, क्यों लगे बाबा बौखनाग के जयकारे?

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. सुरंग में फंसे मजदूरों के बाहर निकलने के बाद देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई और कई जगहों पर मजदूरों के परिजनों ने दिवाली मनाई. श्रमिकों के निकलने के बाद मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री ने बौखनाग देवता का आभार प्रकट किया.

By Aditya kumar | November 29, 2023 9:02 AM
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Uttarkashi Tunnel Rescue Operation : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. सुरंग में फंसे मजदूरों के बाहर निकलने के बाद देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई और कई जगहों पर मजदूरों के परिजनों ने दिवाली मनाई. श्रमिकों के निकलने के बाद मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री ने बौखनाग देवता का आभार प्रकट किया. साथ ही अगले दिन सुबह-सुबह सुरंग द्वार के पास पहुंचे और स्थापित मंदिर में पूजा-अर्चना की.

लगे बाबा बौखनाग के जयकारे

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के निर्माणाधीन सिलक्यारा सुंरग से आखिरी श्रमिक को लेकर एंबुलेंस से चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना होते ही मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय राज्य मंत्री वी के सिंह स्थानीय बौखनाग देवता के मंदिर में उनके प्रति आभार प्रकट करने गए और वहां पूजा अर्चना की. साथ ही वहां मौजूद बचाव अभियान के अन्य श्रमिकों ने भी बाबा बौखनाग के जयकारे लगाए.

बाबा बौखनाग के मंदिर को भव्य बनाया जाएगा

रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने के तुरंत बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि सिलक्यारा सुरंग के मुहाने पर स्थित बाबा बौखनाग के छोटे मंदिर को भव्य बनाया जाएगा. चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक मलबे के दूसरी तरफ फंस गए थे.

हादसे का कारण बौखनाग देवता का प्रकोप!

स्थानीय लोग इस हादसे का कारण बौखनाग देवता के प्रकोप को मान रहे थे क्योंकि दीवाली से कुछ दिन पहले उनके मंदिर को तोड़ दिया गया था. निर्माण एजेंसी ने पहले कहा था कि सुरंग के निर्माण के कारण मंदिर को हटाना पड़ा. हालांकि, बाद में गलती का अहसास होते ही उनकी माफी पाने के लिए सुरंग के बाहर बौखनाग देवता का छोटा मंदिर स्थापित कर दिया गया था. हर दिन सुबह यहां कई लोग प्रार्थना करते थे और सफल रेस्क्यू की गुहार लगाते थे.

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बता दें कि यहां रहने वाले लोग इस इलाके का रक्षक बाबा बौखनाग को मानते है. ऐसे में सुरंग के मुहाने पर मंदिर स्थापित करने के बाद नियमित रूप से बाबा बौखनाग की पूजा की गयी और उनसे सुरंग में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए आशीर्वाद मांगा गया. अभियान के 17 वें दिन बचावकर्मियों को सफलता मिली और सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

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