Uttarakhand Tragedy: उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने (Chamoli Glacier Burst) से मची तबाही में अबतक 36 लोगों की मौत हो गई है. वहीं अभी भी करीब 197 से ज्यादा लोग लापता हैं, जबकि एनटीपीसी की तपोवन जलविद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे 30-35 लोगों को बाहर निकालने के लिए बचाव और राहत अभियान युद्धस्तर पर जारी है. रविवार को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा व धौलीगंगा नदियों में अचानक आयी आपदा के बाद सेना, एनडीआरएफ, आइटीबीपी और एसडीआरएफ के जवान लगातार बचाव अभियान में जुटे हुए हैं.
इस बीच, आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संवाददाताओं से कहा कि सुरंग के अंदर बहुत घुमाव है, जिस कारण थोड़ी परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि अब ड्रिल करके रस्सी के सहारे आगे पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है.तपोवन क्षेत्र में नेवी मार्कोस (मरीन) कमांडो का 30 सदस्यीय दल भी रेस्क्यू के लिए पहुंचा.
वहीं मंगलवार को संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि उत्तराखंड के चमोली में हुए हिमस्खलन पर केंद्र और राज्य सरकार की सभी एजेंसियां स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं. वहीं गृहमंत्री ने यह भी बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में एसडीआरएफ फंड के तहत उत्तराखंड को 1,041 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है जिसमें से पहली किश्त के रूप में 468 करोड़ जारी कर दिया गया है.
चमोली हादसे में झारखंड के मजदूरों के फंसे होने की सूचना के बाद सरकार के साथ आम जन व परिजनों की नजर पल-पल मिल रही खबरों पर है. अब तक 21 लोगों के लापता होने की जानकारी मिली है. इनमें लोहरदगा के नौ, मिहिजाम के सात, रामगढ़ के चार और बोकारो का एक व्यक्ति शामिल है. राज्य सरकार ने सूचना देने के लिए कंट्रोल रूम का हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया था. इन पर 31 लोगों की सूचना दी गयी है, जिनमें लातेहार के 10 मजदूर सुरक्षित हैं