Vaccination : झारखंड की राजधानी रांची के बारियातू स्थित डीएवी नंदराज की 11वीं कक्षा के छात्र शीतांशु शेखर स्कूल नहीं जाते. हालांकि, राज्य सरकार के नए दिशा-निर्देश के बाद उनके स्कूल में बीते 9 अगस्त से ही कक्षा 9 से 12वीं तक की पढ़ाई शुरू हो गई है. फिर भी वे स्कूल नहीं जाते और रोजाना 8.30 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक ऑनलाइन क्लास करते रहते हैं. एक दिन उनके पिता ने पूछा कि आप स्कूल क्यों नहीं जाते? उनका जवाब था, ‘देश की सरकार ने 18 साल से ऊपर के सभी वर्ग के लोगों को कोरोना का टीका लगाने का इंतजाम कर दिया है और ज्यादातर को टीका लग भी गया, लेकिन 18 साल से नीचे के बच्चों के लिए टीका है क्या? जब बच्चों को टीका नहीं लगा और तीसरी लहर में ज्यादातर बच्चे संक्रमित होंगे, तो फिर मैं संक्रमण लाने के लिए स्कूल क्यों जाऊं?’
शीतांशु शेखर का सवाल वाजिब है. देश-दुनिया के वैज्ञानिक और शोधकर्ता यह मानते हैं कि कोरोना संक्रमण बिना टीका के थम नहीं सकता. देश की हर आबादी को टीका लगवाना ही पड़ेगा. जो टीका नहीं लगवाएगा, वह खुद के साथ अपने परिजनों की जान जोखिम डालेगा. आइए जानते हैं कि देवघर एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ सौरभ वार्ष्णेय का इस बारे में क्या कहना है…?
क्या भारत ने महामारी का मुकम्मल मुकाबला किया है?
1918 के स्पेनिश फ्लू के बाद से दुनिया ने इतनी बड़ी महामारी नहीं देखी. भारत ही नहीं, पूरी दुनिया पिछले 20 महीनों से इसकी चपेट में है. विकसित देशों की भी हालत खबरा है. मैं कहना चाहूंगा कि भारत ने महामारी का बहादुरी से मुकाबला किया है. सरकारी, गैर सरकारी, निजी क्षेत्रों और राज्यों के संगठनों ने बेहतर किया है. कोरोना की पहली लहर 2020 की पहली छमाही में शुरू हुई थी. इस साल मई में दूसरी लहर और तीसरी लहर आने की आशंका है. सरकार भविष्य को लेकर सचेत है और बुनियादी ढांचे और संसाधन विकसित किए जा रहे हैं.
झारखंड क्या तैयारी है?
सबसे पहले इलाज जरूरी है. इसके लिए टेस्ट लैब की जरूरत है. देवघर के एम्स में बिहार के लोग भी आते हैं. हमने चिकित्सकीय सुविधाओं में बहुत हद तक सुधार किया है. यहां एक टेस्ट लैब भी है. झारखंड में आरटीपीसीआर के कई सेंटर मौजूद हैं. सरकार ने टेस्ट कराने के मामले में छूट भी दिया है. इससे शुरुआती लक्षण से ही संक्रमण पकड़ में आने से मरीजों को आइसोलेट किया जा रहा है. इस मुस्तैदी से संक्रमण दर घट रही है. हालांकि, संक्रमितों को वक्त पर इलाज देने की गति में तेजी लाने की जरूरत है. गंभीर, मध्यम और हल्का संक्रमितों के इलाज और निगरानी की आवश्यकता है. कुल संक्रमितों में 10 फीसदी अति गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है और यही कोई 10 फीसदी को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है. दूसरी लहर भयावह थी, जिसने भगदड़ पैदा की. अस्पतालों में बिस्तरों की कमी दिखी, लेकिन चतुराई से चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है. राज्य सरकार का प्रदर्शन और समर्थन बेहतरीन है.
तीसरी लहर का मुकाबला कैसे करेंगे?
अभी तक तीसरी लहर के कोई स्पष्ट संकेत नहीं है. फिर भी राज्य सरकार के साथ हम भी उसका मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. केंद्र और राज्य सरकार बुनियादी संसाधनों में रोजाना बढ़ोतरी कर रही हैं. मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती का मामला हो या दवाओं का इंतजाम. हर मामले में व्यवस्था चुस्त है. टीकाकरण में तेजी लाई गई है और आने वाले दिनों में यह और तेज होगी. झारखंड में खुद एम्स लोगों को टीका लगाने में मुस्तैदी बरत रहा है. सामुदायिक सेवा विभाग के माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है.
तीसरी लहर को कैसे रोकेंगे?
बेहतर से बेहतरीन व्यवस्था और सेवा के जरिए अब इसे रोकना संभव है. इससे बचने केतीन सबसे महत्वपूर्ण उपाय सोशल डिस्टेंसिंग, वाशिंग और चेहरे पर मास्क. इसके बाद चौथा महत्वपूर्ण उपाय टीका है. केंद्र सरकार ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया है. यदि इस आयुवर्ग के लोग वैक्सीन लेते हैं, तो संक्रमण की रोकथाम संभव है.
Also Read: Coronavirus Updates : तीसरी लहर जल्द ! 24 घंटे में 585 मौत, दोनों डोज के बाद भी Delta Plus से गई जान
स्कूल खुल गए हैं तो तीसरी लहर को कैसे संभालेंगे, क्योंकि इसमें बच्चों पर खतरा अधिक है?
बच्चे बीते डेढ़ साल से स्कूल नहीं जा रहे. घर पर रहने से उनमें तनाव बढ़ा है. वैज्ञानिक और शोधकर्ता बताते हैं कि घर से बाहर नहीं निकलने से बच्चे तनाव में हैं और तनाव एक तरह का इम्युनोमोड्यूलेटर है, जिसका अर्थ है कि इससे शरीर में बीमारी से लड़ने की क्षमता कम होती है. इसलिए, स्कूल खोलने से बच्चे सामान्य जीवन में वापस आएंगे और तनाव कम होगा और एंटीबॉडी ज्यादा तैयार होगी.