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AIIMS एक्सपर्ट ने बच्चों के वैक्सीनेशन पर उठाया सवाल, बताई ये बड़ी वजह

Vaccination of Children: पीएम मोदी के 15 से 18 साल तक बच्चों के लिए 3 जनवरी 2022 से वैक्सीनेशन ड्राइव चलाने की घोषणा के बाद हर तरफ इसे एक अच्छे फैसले के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं, एम्स के एक वरिष्ठ एक्सपर्ट ने इसे अवैज्ञानिक फैसला बताया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2021 9:37 AM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 25 दिसंबर को कोरोना(corona) की जंग में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए 15 से 18 साल तक बच्चों के लिए 3 जनवरी 2022 से वैक्सीनेशन ड्राइव चलाने की घोषणा की. इतना ही नहीं पीएम ने फ्रंट लाइन वर्कर्स, हेल्थ वर्कर्स और 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को डॉक्टरी सलाह पर बूस्टर डोज देने की शुरूआत 10 जनवरी से करने की बड़ी घोषणा की. उनके इस फैसले की चारों तरफ तारीफ हो रही है. लेकिन इस बीच एम्स के वरिष्ठ एक्सपर्ट (महामारी वैज्ञानिक) डॉ संजय के राय ने केंद्र के इस फैसले पर सवाल उठाया है. उन्होंने साफ कहा कि इससे कोई भी अतिरिक्त लाभ नहीं होने वाला है.

एम्स एक्सपर्ट संजय के राय ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को टैग करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने ट्वीट में लिखा कि मैं पीएम मोदी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं. देश के लिए उनकी निस्वार्थ सेवा और सही समय पर सही निर्णय लेने का कायल हूं. लेकिन बच्चों के वैक्सीनेशन पर उनके अवैज्ञानिक निर्णय से मैं पूरी तरह निराश हुआ हूं. ट्वीट के जरिए उन्होंने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए वैक्सीनेशन पर दूसरे देशों के आंकड़ों के विश्लेषण किए जाने की बात कही.

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बताई ये बड़ी वजह

एम्स एक्सपर्ट डॉ राय ने अपने नजरिए को स्पष्ट करते हुए कहा कि टीकों के बारे में हमारे पास जो भी जानकारी के है उसके अनुसार वे संक्रमण को रोकने में असमर्थ हैं. कुछ देशों में लोग बूस्टर डोज लेने के बाद भी संक्रमित हो रहे हैं. उन्होंने आंकड़ों पर बात करते हुए कहा कि ब्रिटेन में हर दिन 50 हजार संक्रमण की खबर मिल रही है. इससे साफ है कि वैक्सीनेशन कोरोना संक्रमण को नहीं रोक रहा है. लेकिन वैक्सीन गंभीरता औऱ मौत को रोकने में प्रभावी हैं.

उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन के बाद भी गंभीर साइड इफेक्ट देखने को मिले हैं. यह आंकड़ा हर दस लाख की आबादी में 10 से 15 के बीच है. वहीं, बच्चों के वैक्सीनेशन पर उन्होंने कहा कि बच्चों के मामले में संक्रमण की गंभीरता बहुत कम है. सार्वजनिक आंकड़ों की मानें तो हर 10 लाख की आबादी में केवल 2 लोगों की मौत की सूचना है.

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