Varanasi News: काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में मंगलवार को कुछ ऐसा हुआ जिससे हंगामा मच गया. दरअसल, बीएचयू ट्रामा सेंटर में इलाज करा रहे दो कैदियों को एक हथकड़ी में बांधने की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. हालात ऐसे हुए कि मामले की शिकायत मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गई. ट्विटर पर भी यूजर्स मामले को लेकर सवाल उठाने लगे. आनन-फानन में सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) भेलूपुर प्रवीण सिंह को मामले की जांच का जिम्मा दिया गया.
हुआ ऐसा कि बिहार के बक्सर में निशांत सिंह और अमरीश सिंह पर मारपीट का आरोप है. मारपीट में इन दोनों को चोट आई और दोनों को इलाज के लिए बीएचयू भेजा गया. दोनों पर हत्या की कोशिश का आरोप है. जब दोनों का बीएचयू में इलाज किया जा रहा था तो दोनों के हाथों में एक ही हथकड़ी थी. इसी की तसवीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. यहां तक कि स्थानीय वकील दिनेश दीक्षित ने मानवाधिकार आयोग से मामले की जांच करके दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई की मांग कर दी
वकील दिनेश दीक्षित का मामले में कहना है कैदियों के साथ जो किया गया है वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. पुलिस इन आरोपियों के साथ मवेशियों जैसा व्यवहार कर रही है. किस सूरत में दोनों आरोपियों को एक ही हथकड़ी में बांधा गया? इसका जवाब नहीं दिया गया है. यह मामला गंभीर तब और हो जाता है जब कोई कानून के संरक्षण में हो. अधिवक्ता दिनेश दीक्षित ने सवाल खड़ा किया कि ऐसी स्थिति में चिकित्सकों ने हथकड़ी क्यों नहीं खुलवाई? क्या उनका नौतिक कर्तव्य नहीं बनता?
Also Read: UP News: वाराणसी में गड्डा युक्त सड़कों को लेकर सपा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन, बोले- रोड नहीं तो वोट नहींदूसरी तरफ बीएचयू में इलाजरत दोनों आरोपियों की सुरक्षा में तैनात बिहार पुलिसकर्मियों से बात करने की कोशिश की गई. लेकिन, उन्होंने कोई भी जवाब नहीं दिया है. उनका कहना था कि हमारे अधिकारियों का निर्देश है कि दोनों को हथकड़ी लगाकर ही रखा जाए. इस प्रकरण की जांच कर रहे एसीपी भेलूपुर ने कहा कि जांच की जा रही है. इस मामले में क्या जांच रिपोर्ट आती है, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है. वहीं, सोशल मीडिया पर यूजर्स तरह-तरह के सवाल करते देखे गए.
(रिपोर्ट: विपिन सिंह, वाराणसी)