नयी दिल्ली : देश में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. दावा किया जा रहा है कि जून और जुलाई में यह आंकड़ा और तेज रफ्तार से बढ़ सकती है. लेकिन भारत में इससे निपटने के लिए प्रयाप्त मात्रा में न तो वेंटिलेटर है और न ही आइसीयू वार्ड. स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में 175 लोगों की मौत हो गई है. वहीं भारत में अबतक इस वायरस से 4700 से अधिक लोग दम तोड़ चुके हैं.
लॉकडाउन के 65 दिन बाद भी देश में कोरोनावायरस संक्रमितों और मृतकों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है. इसी बीच एम्स दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने दावा किया कि जून जुलाई में कोरोनावायरस का पिक टाइम रहेगा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत का स्वास्थ इंफ्रास्ट्रक्चर इससे लड़ने के लिए तैयार है?
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के मरीजों के लिए भारत में 84 हजार लोगों पर मात्र एक आइसोलेशन बेड है और 36 हजार लोगों पर सिर्फ एक क्वारेंटाइन बेड. रिपोर्ट के अनुसार 15 मई तक भारत में 18855 वेंटिलेटर उपलब्ध है. यानी औसतन 10 मरीजों पर 1 वेंटिलेटर. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि वर्तमान में 100 में से सिर्फ 3 या 4 मरीज को ही वेंटिलेटर की जरूरत हो रही है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार ने 60000 वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया है.
मौत का दर डराने वाला– कोरोनावायरस संक्रमण से पिछले 10 दिनों में मौत के आंकड़ों का जो दर है वो डराने वाला है. स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 3 मई से 17 मई तक प्रतिदिन औसतन 111 लोगों की मौत हो रही थी, जो अब 10 दिनों में बढ़कर 183 हो गयी है.
कई जगहों पर सस्ते वेंटिलेटर बनाने का दावा- वेंटिलेटर को लेकर कई संस्था और कंपनियां समय समय पर दावा करती रही है. इनमें महिंद्रा, आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्था शामिल है. लेकिन अभी तक किसी भी संस्था ने वेंटिलेटर बनाने का किया पूरा नहीं किया है.
Posted By : Avinish Kumar Mishra