दिल्ली: दिग्गज कलाकार विवान सुंदरम का निधन, कला जगत में शोक की लहर
मशहूर कलाकार विवान सुंदरम का लंबी बीमारी के बाद बुधवार को निधन हो गया. विवान सुंदरम ने बड़ौदा की एमएस यूनिवर्सिटी और लंदन के ‘द स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट’ से पेंटिंग की पढ़ाई की थी. विभिन्न मौकों पर उनकी पेंटिंग देश-विदेश में प्रदर्शित की गई थी.
नई दिल्लीः मशहूर कलाकार विवान सुंदरम का लंबी बीमारी के बाद बुधवार को निधन हो गया. उनके ट्रस्ट सहमत द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, 79 वर्षीय विवान सुंदरम ने सुबह नौ बजकर 20 मिनट पर आखिरी सांस ली. सुंदरम के परिवार में उनकी पत्नी गीता कपूर हैं, जो पेशे से एक कला समीक्षक हैं
‘कला जगत के लिए अपूर्णीय क्षति’
सुंदरम के दोस्त और सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने बताया कि सुंदरम पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे. हाशमी ने बताया, ‘‘पिछले तीन महीने से वह इलाज के लिए लगातार अस्पताल जा रहे थे.’’ हाशमी ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, “वह उन बेहतरीन कलाकारों में से एक थे, जिन्हें मैं 35 से ज्यादा वर्षों से जानता हूं. उनका निधन कला जगत और रचनात्मक सांस्कृतिक प्रतिरोध के लिए भी एक बड़ी क्षति है. वह एक दुर्लभ किस्म के व्यक्ति थे, उन्होंने बेहद दिलचस्प विचार दिए हैं.’’
विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष के बेटे थे सुंदरम
शिमला में कल्याण सुंदरम और इंदिरा शेरगिल के घर 1943 में उनका जन्म हुआ. कल्याण सुंदरम भारत के विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष थे और इंदिरा शेरगिल प्रसिद्ध भारतीय कलाकार अमृता इंदिरा शेरगिल की बहन हैं. दिल्ली में बसे इस कलाकार ने बड़ौदा की एमएस यूनिवर्सिटी और लंदन के ‘द स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट’ से पेंटिंग की पढ़ाई की थी.
सुंदरम की पेंटिंग देश-विदेश में प्रदर्शित हुई
सुंदरम की कई पेंटिंग को कोच्चि (2012), सिडनी (2008), सेविल (2006), ताइपे (2006), शारजाह (2005), शंघाई (2004), हवाना (1997), जोहान्सबर्ग (1997) और क्वांगजू (1997) में प्रदर्शित की गई.
सुंदरम के निधन पर IPTA ने भी शोक जताया
वहीं सुंदरम के निधन पर IPTA ने भी शोक जताया है, एक शोक संदेश में IPTA ने लिखा कि , इप्टा राष्ट्रीय समिति कला जगत के मकबूल, संवेदनशील और सृजनशील शख्सियत विवान सुंदरम के निधन पर शोक व्यक्त करती है और मर्माहंत है. सुंदरम के निधन से सम्पूर्ण कला जगत शोकाकुल है और यह एक अपूरणीय क्षति है, आप असाधारण प्रतिभा के सृजनशील व्यक्ति थें और पूरे समर्पण के साथ अपनी कल्पना को मूर्त रूप देते थें .