Vice President: विकसित देश बनने के लिए रिसर्च और इनोवेशन एक महत्वपूर्ण कारक होता है. रिसर्च और इनोवेशन के क्षेत्र में आगे रहने वाले देश को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलती है. तकनीक के क्षेत्र में आगे रहने से कूटनीति में भी देश का महत्व काफी बढ़ जाता है. देश के शिक्षण संस्थानों को रिसर्च और इनोवेशन के केंद्र के तौर पर स्थापित करने के लिए कदम उठाना चाहिए और इस काम में देश के कॉरपोरेट को वित्तीय मदद मुहैया कराने से पीछे नहीं रहना चाहिए. दिल्ली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के चौथे कॉनवोकेशन को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यह बात कही.
उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं के विकास में भूतपूर्व छात्रों की भी अहम भूमिका है. संस्थान के पुराने छात्रों को संस्थान को आगे बढ़ाने में वित्तीय मदद देने के लिए आगे आना चाहिए. साथ ही व्यापार, उद्योग और वाणिज्य जगत से जुड़े संघों को भी आगे आकर रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय मदद मुहैया कराना चाहिए. उन्होंने पूर्व छात्रों काे रिसर्च एंड इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए फंड बनाने की अपील की ताकि इस फंड का उपयोग शिक्षण संस्थाओं के विकास में हो सके.
शिक्षा व्यापार नहीं, समाज सेवा का है जरिया
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि शिक्षा व्यापार नहीं है. शिक्षा समाज सेवा का एक माध्यम है. शिक्षा मुहैया कराना लोगों की जिम्मेदारी है और यह हम सबका दायित्व है कि शिक्षित होने के बाद समाज को उसका लाभ पहुंचाने का काम करें. शिक्षा में निवेश करना मानव संसाधन में निवेश करना है. यह मौजूदा और भावी पीढ़ी को सशक्त बनाने का निवेश है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि हाल के दिनों में देखा जा रहा है कि कुछ लोग संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम कर रहे हैं. यह काम लगातार जारी है. जबकि ऐसी मानसिकता से देश में अराजकता फैलने का खतरा है.
उन्होंने कहा कि अब समय इस सोच को अलविदा कहने का है. देश के अभिजात्य वर्ग को देश निर्माण में अपना योगदान देना होगा. भारत दुनिया को सबसे पुराना, बड़ा और लोकतांत्रिक देश है. ऐसे में हमें दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनने की दिशा में काम करना होगा. एक सशक्त भारत दुनिया में एकता, शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए जरूरी है.