BJD के समर्थन के बाद राष्ट्रपति पद की NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत की राह हुई आसान
ओड़िशा की द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति चुनाव में जीत की राह ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आसान कर दी है. उनकी पार्टी बीजू जनता दल ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही झारखंड की पहली महिला राज्यपाल का राष्ट्रपति बनना लगभग तय हो गया है.
Presidential Election 2022: ओड़िशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का समर्थन किये जाने की घोषणा के साथ ही राष्ट्रपति चुनाव में केंद्र में सत्ताधारी गठबंधन की जीत की राह आसान हो गयी है. इसके साथ ही देश को पहली आदिवासी और सबसे युवा राष्ट्रपति (Youngest President of India) मिलने का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है.
द्रौपदी मुर्मू को 52 फीसदी वोट मिलना तयबीजद द्वारा द्रौपदी मुर्मू (BJD Supports Draupadi Murmu) को समर्थन देने की घोषणा के बाद एनडीए को कुल मतों में से 52 प्रतिशत से अधिक मत मिलना तय माना जा रहा है. राष्ट्रपति चुनाव में कुल मत 10,86,431 हैं. एनडीए (NDA) के खाते में अब 5,67,000 मत आने के आसार हैं. इसमें भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और उसके सहयोगी दलों के सांसदों के 3,08,000 मत भी शामिल हैं.
निर्वाचक मंडल में BJD के कुल 32,000 मत हैं, जो कि कुल मत का 2.9 प्रतिशत हिस्सा है. बीजद के पास 147-सदस्यीय ओड़िशा विधानसभा (Odisha Assembly) में 114 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 22 विधायक हैं. संसद के दोनों सदनों में बीजद के 12-12 सदस्य हैं. भाजपा को उम्मीद है कि एनडीए के उम्मीदवार को वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) जैसे कुछ क्षेत्रीय दलों का समर्थन भी मिल सकता है.
राज्यसभा में भाजपा के हैं 92 सांसदराज्यसभा के हाल के द्विवार्षिक चुनाव के बाद उच्च सदन में भाजपा के सदस्यों की कुल संख्या 92 हो गयी है, जबकि लोकसभा में उसके 301 सदस्य हैं. उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत से भी एनडीए उम्मीदवार की जीत की संभावनाओं को बल मिला हैं. किसी अन्य राज्य के मुकाबले उत्तर प्रदेश के विधायकों के मत का मूल्य सर्वाधिक है.
2017 की तुलना में एनडीए का वोट घटाहालांकि, वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले इस बार के चुनाव में एनडीए के विधायकों की संख्या कम है. हालांकि उसके सांसदों की संख्या बढ़ गयी है. बहरहाल, भाजपा ने मंगलवार को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में झारखंड की पूर्व राज्यपाल मुर्मू का नाम घोषित कर सभी को चौंका दिया था. मुर्मू यदि चुनाव जीत जाती हैं, तो वह रामनाथ कोविंद का स्थान लेंगी.
Also Read: Draupadi Murmu: झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की कैसी रही है छवि, जानें उनका अब तक का सफर 776 सांसदों में भाजपा के 393ताजा आंकड़ों के मुताबिक, संसद के दोनों सदनों के कुल 776 सदस्यों में भाजपा के कुल 393 सदस्य हैं. इनमें राज्यसभा के चार मनोनीत सदस्य शामिल नहीं हैं, क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में वे मतदान नहीं कर सकते. जनता दल (यूनाईटेड) के 21 सांसदों के अलावा राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल और पूर्वोत्तर के क्षेत्रीय व सहयोगी दलों के सांसदों की सदस्य संख्या को जोड़ लिया जाये, तो भाजपा उम्मीदवार और मजबूत स्थिति में पहुंच जाती हैं.
सांसदों के वोट का मूल्य 700राज्यसभा व लोकसभा के सदस्यों के वोट का मूल्य 700 हैं. राज्यों में कुल 4,033 विधायक हैं. राज्य के हिसाब से इन विधायकों का मत निर्धारित है. लोकसभा की तीन सीटों पर उपचुनावों और राज्यसभा की 16 सीटों के लिए हुए चुनावों के परिणामों के बाद निर्वाचकों की अंतिम सूची जारी की जायेगी. 64 वर्षीय मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं.
Also Read: राष्ट्रपति चुनाव: NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को जदयू का साथ, नीतीश कुमार ने समर्थन का किया ऐलान झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं द्रौपदी मुर्मूद्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं. वह पहली राज्यपाल थीं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को संयुक्त उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में 18 जुलाई को मतदान होना तय है. मतगणना 21 जुलाई को होगी.
लोकसभा, विधानसभा में मनोनीत सदस्य नहीं डालते वोटराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और दिल्ली तथा केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं. राज्यसभा और लोकसभा या राज्यों की विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं हैं. इसलिए, वे चुनाव में भाग लेने के हकदार नहीं होते. इसी तरह, विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाता नहीं होते हैं.