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G 20 समिट में दुनिया भर के तमाम बड़े नेता हिस्सा ले रहे हैं, ऐसे VVIP मूवमेंट में कैसे सुरक्षा रखनी है, उसको लेकर रिटायर सैन्य अफसरों ने अपनी राय दी है. ये राय मुंबई हमलों से जुड़े अनुभवों के आधार पर है और इस पर समिट में अमल होगा.
देश की राजधानी दिल्ली में 9-10 सितंबर को होने वाली G20 समिट की सुरक्षा भारतीय सेना का खोजी दस्ता और बम निरोधक दस्ता करेगा. दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर सुरक्षा चाकचौबंद है. दिल्ली में आनेवाले तमाम राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा के लिए कमांडो से लेकर खुफिया एजेंसियों को भी लगाया गया है. अब इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने के-9 स्क्वाॅड को भी दिल्ली बुला लिया है. दिल्ली पुलिस की डॉग स्क्वॉड यूनिट भी डमी विस्फोटकों का पता लगाने का प्रयास कर रही है. आपको बता दें कि इसे किसी भी फौजी दस्ते की तीसरी आंख कहा जाता है. इस दस्ते में खास तौर से ट्रेंड डॉग्स को रखा जाता है, जो किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सक्षम होते हैं.
G 20 समिट में दुनिया भर के तमाम बड़े नेता हिस्सा ले रहे हैं, ऐसे VVIP मूवमेंट में कैसे सुरक्षा रखनी है, उसको लेकर रिटायर सैन्य अफसरों ने अपनी राय दी है. ये राय मुंबई हमलों से जुड़े अनुभवों के आधार पर है और इस पर समिट में अमल होगा. इस सप्ताह के अंत में, 20 विशेष रूप से प्रशिक्षित सुरक्षा सदस्य G20 आयोजन स्थलों पर ड्यूटी पर होंगे. करण, गूगल, जॉरो और उनके सहयोगी नाइट विजन ग्लास – डॉगल्स, वॉकी टॉकी सहित स्पेशल गैजेट्स से लैस होंगे. और हर बार जब वे छिपे हुए विस्फोटकों को सूंघकर पता लगाएंगे या बंधक बनाने वालों को मार गिराएंगे, तो वे शायद अपनी पूंछ हिलाएंगे क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के विशिष्ट K-9 दस्ते के चार पैर वाले सैनिक हैं.
K-9 स्क्वॉड डॉग्स की एक स्पेशल टीम होती है, जिसमें स्पेशली ट्रेंड डॉग्स होते हैं. इनकी ट्रेनिंग किसी फौजी से कम नहीं होती. G20 को लेकर सुरक्षा इंतजामों के तहत दिल्ली में इन्हीं को तैनात किया गया है. इनके सूंघने की क्षमता इतनी जबरदस्त होती है कि किसी भी छिपे हुए विस्फोटक पदार्थ का पता लगा सकते हैं. ये सभी डॉग्स बेल्जियन मालीनॉइस नस्ल के होते हैं. ज्यादातर फोर्सेज के पास यह के-9 टीम होती है, चाहे वह सीआरपीएफ हो, दिल्ली पुलिस हो या आर्मी.