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विधानसभा चुनाव : कांग्रेस में उठने लगी आवाज, जल्द तंद्रा भंग नहीं हुई, तो हो जायेगी बहुत देर

Assembly elections, Congress, All India Congress Committee : नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर सवाल उठने लगे हैं. पार्टी में ही नेता-कार्यकर्ता कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं कराये जाने और भाजपा की हार में खुशी ढूंढ़ने से बचने की बात कहने लगे हैं.

नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर सवाल उठने लगे हैं. पार्टी में ही नेता-कार्यकर्ता कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं कराये जाने और भाजपा की हार में खुशी ढूंढ़ने से बचने की बात कहने लगे हैं.

पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस ने सावधानीपूर्वक तैयारी की. भाजपा से लड़ने में कांग्रेस की अक्षमता पर टिप्पणी करते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी कहा था कि एक पार्टी चुनाव से करीब 15 दिन पहले तैयार नहीं हो सकती और सोच सकती है कि वह जीत सकती है.

टीओआई ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी के भीतर खलबली मची हुई है. क्योंकि, अंदरूनी सूत्रों ने पांच राज्यों के चुनावों में पार्टी की हार को एक और ‘वेक अप कॉल’ करार दिया है. साथ ही कहा है कि जल्द ही बहुत देर हो सकती है.

पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रमुख संगठनात्मक पदों पर सक्षम और विश्वसनीय लोगों को रखने की जरूरत है. साथ ही तनाव व विरोध वाले पदों में आंतरिक सामंजस्य लाना जरूरी है. एआईसीसी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराना पर्याप्त नहीं होगा. इससे बचना चाहिए.

पश्चिम बंगाल में भाजपा की हार को लेकर कांग्रेस में कई नाराजगी है. क्योंकि, देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने निराशाजनक प्रदर्शन को नजरंदाज करतनी नजर आ रही है. युवा पार्टी प्रवक्ता रागिनी नायक ने कहा है कि ”अगर हम मोदी की हार में अपनी खुशी तलाशते रहेंगे, तो अपनी हार का अंत कैसे करेंगे.”

कांग्रेस में सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि केरल और असम में हार की जांच से पार्टी बच रही है, क्योंकि यह उन नेताओं पर उंगली उठा सकती है, जो संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर हैं. असम में भाजपा गठबंधन ने विपक्षी गठबंधन से अधिक मत हासिल किये. इस बात का उदाहरण दिया जा रहा है कि मतदान को तेज करने की जरूरत है.

जरूरत इस बात की है कि सुयोग्य दिमाग लगाये जाएं और इसे 2019 की हार के बाद तुरंत शुरू किया जाना चाहिए. वहीं, एक नेता का कहना है कि सदस्य जल्द ही व्यापक संगठनात्मक फेरबदल की मांग उठा सकते हैं.

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