जरा याद करो कुर्बानी! कारगिल के शहीदों को देश कर रहा शत् शत् नमन, PM Modi और रक्षा मंत्री ने दी श्रद्धांजलि
पूरा देश आज 24 वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है. 1999 में आज ही के दिन भारत ने दुनिया के सबसे दुर्गम युद्ध क्षेत्रों में पाक सेना को खदेड़ कर कारगिल युद्ध में जीत लिया था. यह खास दिन देश के उन वीर सपूतों को समर्पित है, जिन्होंने कई मुश्किलों का सामना करते हुए दुर्गम चोटियों पर विजय पताका फहरायी थी.
विजय दिवस… वह गौरवशाली दिन जब भारतीय सेना के जांबाज सिपाहियों ने करगिल, द्रास समेत कई भारतीय इलाकों पर कब्जा जमा चुके पाकिस्तानी सेना को धूल चटाकर फिर से यहां तिरंगा लहरा दिया था. भारत के इतिहास में यह ऐतिहासिक दिन हमेशा के लिए दर्ज हो गया… जी हां, आज पूरा देश विजय दिवस मना रहा है. आज के ही दिन भारत के वीरों ने करगिल युद्ध में पाकिस्तानी फौज को करारी मात देकर दुर्गम पहाड़ियों पर तिरंगा फहराया था. इस युद्ध में कई भारतीय वीर सैनिकों ने अपनी प्राणों की आहूति देकर शहीद हो गये. आज का दिन सिर्फ जीत को याद करने का नहीं है, बल्कि सेना के उन जवानों की वीरता, शौर्य, और अदम्य साहस को याद करने का दिन है… जिनके सजदे में देशवासियों का सिर हमेशा से झुकता आया है. आज पूरी देश करगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सपूतो को याद कर रहा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी है. अपने ट्विटर पर उन्होंने लिखा है कारगिल विजय दिवस पर देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देने वाले सभी योद्धाओं को नमन…
कारगिल विजय दिवस भारत के उन अद्भुत पराक्रमियों की शौर्यगाथा को सामने लाता है, जो देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणाशक्ति बने रहेंगे। इस विशेष दिवस पर मैं उनका हृदय से नमन और वंदन करता हूं। जय हिंद!
— Narendra Modi (@narendramodi) July 26, 2023
पूरा देश आज 24 वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है. 1999 में आज ही के दिन भारत ने दुनिया के सबसे दुर्गम युद्ध क्षेत्रों में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ कर कारगिल युद्ध में जीत हासिल की थी. यह खास दिन देश के उन वीर सपूतों को समर्पित है, जिन्होंने कई मुश्किलों का सामना करते हुए 26 जुलाई, 1999 को पाकिस्तानी सेना को करगिल से खदेड़ कर दुर्गम चोटियों पर विजय पताका फहरायी थी. करगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को लद्दाख के द्रास में स्थित युद्ध स्मारक को पूरी तरह सजा दिया गया. 24 वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हो रहे हैं. उन्होंने करगिर वॉर मेमोरियल में जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
#WATCH | Defence Minister Rajnath Singh lays a wreath at Kargil War Memorial in Drass and pays tribute to soldiers who lost their lives in the 1999 Kargil War. #KargilVijayDiwas pic.twitter.com/Ev9ZwyMVJa
— ANI (@ANI) July 26, 2023
जनरल मनोज पांडे ने किया संवाद
बता दें, मंगलवार को सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने विजय दिवस की 24 वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर द्रास में पूर्व सैनिकों, वीर नारियों, वीरता पुरस्कार विजेताओं और स्थानीय लोगों से संवाद किया. इस दौरान करगिल के शहीदों के परिजनों ने उन वीर जवानों को याद किया, जो छापामार के भेष में आये पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. सेना ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि करगिल विजय दिवस 2023 की पूर्व संध्या पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने पूर्व सैनिकों, वीर नारियों, वीरता पुरस्कार विजेताओं और द्रास-करगिल की अवाम से संवाद किया और अपना आभार प्रकट किया. इस दौरान सेना के बैंड ने और लद्दाख की समृद्ध एवं विविधता युक्त संस्कृति से युक्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई. बता दें, भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को ऑपरेशन विजय के सफल समापन और विजय की घोषणा की थी. इसी के साथ करगिल के तोलोलिंग और टाइगर हिल सहित ऊंचाई वाली बर्फीली चोटियों पर करीब तीन महीने से जारी लड़ाई खत्म हुई थी.
मौत उसी की, जिसका जमाना करे अफसोस- मनमोहन
इधर, शहीद कैप्टन मनोज पांडे के भाई मनमोहन पांडे ने कहा कि वह मरे नहीं हैं, बल्कि अमर हो गये हैं. जब तिरंगा में लिपटा उनका पार्थिव शरीर लखनऊ लाया गया, उस समय का दृश्य मैं नहीं भूल सकता. करीब 15 लाख लोग ताबूत के साथ चल रहे थे और मनोज पांडे अमर रहे के नारे लगा रहे थे. लेफ्टिनेंट पांडे को बटालिक सेक्टर में उनके अदम्य साहस को लेकर मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. मनमोहन ने कहा कि मैं आज भी जब उनकी डायरी पलटता हूं, तो वह महमूद रामपुरी के इस कथन से शुरू होती है- मौत उसी की, जिसका जमाना करे अफसोस.. वरना मरने के लिए तो सभी आते हैं. यह पढ़ कर आज भी मेरी आंखें डबडबा जाती हैं. इधर, मेजर पद्मपाणि आचार्य की पत्नी चारुलता ने कहा कि उनकी शहादत मुझे गर्व से भर देती है. चारुलता के पति जब 1999 में शहीद हुए, तब वह गर्भवती थीं. मेजर आचार्य ने तोलोलिंग की प्रसिद्ध लड़ाई में अपनी जान कुर्बान कर दी थी.
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कभी भी अपने दुश्मन पर भरोसा न करें : पूर्व सेना प्रमुख
हमेशा चौकन्ने रहें और कभी भी अपने दुश्मन पर भरोसा न करें. चाहे वह पाकिस्तान हो या चीन. थल सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल (सेवानिवृत्त) वेद प्रकाश मलिक ने यह संदेश बर्फीले पहाड़ों पर तैनात सशस्त्र बलों को दिया है. जनरल मलिक 1999 में हुई जंग के दौरान सेना प्रमुख थे. उन्होंने विश्वास जताया कि अगर आज युद्ध की स्थिति बनती है, तो भारत करगिल के दौरान की तुलना में बेहतर तरीके से तैयार है. उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध से उनकी सबसे बड़ी सीख यह है कि दोस्ती का ‘राजनीतिक दिखावा’ करने के बावजूद दुश्मन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
भाषा इनपुट से साभार