हिंसा से किसी का भला नहीं, बोले मोहन भागवत – भारत एक बहुभाषी देश, प्रत्येक भाषा का अपना महत्व

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है और प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है. आरएसएस प्रमुख ने इस बात जोर दिया कि हिंसा से किसी को कोई फायदा नहीं होता है.

By Agency | April 29, 2022 9:47 AM

हिंसा से किसी को भी लाभ नहीं होता है. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को अमरावती में कही. उन्होंने कहा कि हिंसा से किसी को लाभ नहीं होता और सभी समुदायों को एकसाथ लाने और मानवता की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया. भागवत का यह बयान देश के कई हिस्सों में विभिन्न समूहों के बीच हालिया झड़पों की पृष्ठभूमि में आया है.

भारत एक बहुभाषी देश है और प्रत्येक भाषा का अपना महत्व

भागवत ने सिंधी भाषा और संस्कृति के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए देश में एक सिंधी विश्वविद्यालय स्थापित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है और प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है. भागवत यहां पास के भानखेड़ा रोड पर कंवरराम धाम में संत कंवरराम के प्रपौत्र साईं राजलाल मोरदिया के ‘गद्दीनशीनी’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. समारोह में अमरावती जिले और देश के विभिन्न हिस्सों से सिंधी समुदाय के सैकड़ों सदस्य शामिल हुए.

हिंसा से किसी को कोई फायदा नहीं

आरएसएस प्रमुख ने इस बात जोर दिया कि हिंसा से किसी को कोई फायदा नहीं होता और उन्होंने सभी समुदायों को एकसाथ लाने और मानवता के संरक्षण का आह्वान किया. भागवत ने कहा कि हिंसा से किसी का भला नहीं होता. जिस समाज को हिंसा प्रिय है वह अब अपने अंतिम दिन गिन रहा है. हमें हमेशा अहिंसक और शांतिप्रिय होना चाहिए. इसके लिए सभी समुदायों को एकसाथ लाना और मानवता की रक्षा करना आवश्यक है. हम सभी को इस काम को प्राथमिकता के आधार पर करने की जरूरत है.

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भाजपा शासित राज्यों में हिंसा के बाद बयान

आरएसएस नेता भावगत की यह टिप्पणी भाजपा शासित मध्य प्रदेश और गुजरात सहित लगभग आधा दर्जन राज्यों में रामनवमी और हनुमान जन्मोत्सव समारोह के दौरान सांप्रदायिक झड़पों की पृष्ठभूमि में आयी है. यह उल्लेखित करते हुए कि सिंधी समुदाय ने देश के विकास में भरपूर योगदान दिया है, भागवत ने सिंधी संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए एक सिंधी विश्वविद्यालय की आवश्यकता पर बल दिया. आरएसएस नेता ने कहा कि कुछ सिंधी भाई अपने धर्म और जमीन की रक्षा के लिए पाकिस्तान में रुक गए थे और कई लोग जमीन की कीमत पर अपने धर्म की रक्षा के लिए भारत आये.

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